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(२०) विषय.
पृष्ठ. विषय. अर्घ्यदान " पुनः भस्मप्रदान मंत्र
३३५ आचमन और मधुपर्क
३२१ सुवर्णप्रदान मंत्र वरको वस्त्रालंकार प्रदान ३२१ वधूको लेकर स्वगृह-गमन
३३५ कन्याको वस्त्रालंकार प्रदान , विशेष कथन
३३६ यज्ञोपवीत ग्रहण और वस्त्राभूषण स्वीकार ३२१ - परमतस्मृति वचन
३३६ विवाह वेदीके समीप वर कन्याको लाना ३२२ वधूका गृहप्रवेश मुहूर्त
३३८ वेदी बनानेका लक्षण " देवोत्थापन
३३९ द्वितीय लक्षण
लग्न-प्रतिघात
३३९ उपनयनके समयकी वेदी
विवाहके अनन्तरवर्ण्य कर्तव्य ३४० द्वितीय-मत
पुत्र-पुत्रीके विवाह आदिके नियमोपनियम ३४० पीठका प्रमाण ३२३ परिवेदनके विषयमें
३४१ विवाह दिनमें होम
" कन्याका रजोदोष सप्तपदीकी आवश्यकता " द्वितीय विवाह
३४१ कन्याके रजस्वला होजानेपर
, स्त्रीके मरजानेपर विवाह काल ३४२ वेदीके समीप वर-कन्याको लानेकी विधि ३२४ मतान्तर उस समयका कर्तव्य
३२४ तृतीय-विवाह कन्यावरण विधि
३२५ अर्कविवाहविधि कन्यावरण मंत्र
बारहवां अध्याय । कन्यादान मंत्र ३२६ वर्णलाभ क्रिया
३४४ कंकणबंधन और मंत्र
" कुलचर्या वार्धापन मंत्र और विधि
गृहीशिता
३४५ विवाहविधि और होमविधि
प्रशान्ति क्रिया
३४६ पुण्याहवाचन-संकल्प-मंत्र ३२९ गृहत्याग क्रिया
३४६ सप्तपदी मंत्र , दीक्षाधारण
३४७ भस्मप्रदान मंत्र. ३३० तेरह प्रकारका चारित्र
३४७ आशीर्वाद मंत्र ३३० पंच महावत
३४७ अनन्तर वधूवरके कर्तव्य ३३१ - पंच समिति
३४८ प्रतिदिनके कर्तव्य , गुप्ति और तप
३४८ चौथे दिन नागतर्पण " बाईस परीषह
३४९ नागतर्पण विधि
, अठाईस मूलवत गंधाक्षतप्रदान मंत्र
३३३ छह आवश्यक क्रियाएं तालीबंधनविधि ३३३ उत्तमक्षमादि दशधर्म
३४९ मालाबंधन मंत्र ३३४ पंचाचार
३५० पूर्णाहुति ३३५ आचार्यके छत्तीसगुण
३५०
३४९