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सम्यक्चारित्र .
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विषय.
पृष्ठ. विषय. स्वममें खाई हुई वस्तुका त्याग २७६ क्षायोपशमिक और औपशमिक स्वममें ब्रह्मचर्यभंगका प्रायश्चित्त २७६ सम्यक्त्वका स्वरूप स्वप्नमें माता आदिके संसर्गका प्रायश्चित्त २७६ क्षायिक सम्यक्त्वका स्वरूप मिथ्यादृष्टियों और शूद्रोंके घरपर भोजन सम्यक्त्व-प्रशंसा करनेका प्रायश्चित्त
२७६ सम्यग्ज्ञानका लक्षण ---- दशवां-अध्याय।
प्रथमानुयोग, करणानुयोग व्रतग्रहण
२७७ और चरणानुयोग जिनालय-गमन
२७७ द्रव्यानुयोग गुरुके निकट जाना धर्मश्रवण-प्रार्थना
चास्त्रिके भेद धर्मकथन
गृहस्थका लक्षण मिथ्यादर्शन
२७८ सम्यग्दृष्टिश्रावक मिथ्यात्वके तीन भेद
२७८ आठ मूलगुण भद्र मिथ्यादृष्टिको देशना
२७८ बारहवत मिथ्यादर्शनके भेदपूर्वक दृष्टांत २७९ पंच अणु व्रत सम्यक्स्वकी उत्पत्ति के कारण २७९ अहिंसाणुव्रत और अतीचार हिंसादि तत्वोंका अश्रद्धान
२७९ सत्याणुव्रत और अतीचार आप्तका लक्षण
, अचौर्याणुव्रत और अतीचार अठारह दोष
, ब्रह्माणुव्रत और अतीचार . शास्त्रका लक्षण
२८० परिग्रहत्यागवत और अतीचार गुरुका लक्षण
" छह अणुव्रत सम्यक्त्वका स्वरूप
, रात्रिभोजनत्याग अणुव्रत निःशंकितादि आठ अंगोंके लक्षण २८१-८२ अणुव्रत पालन करनेका फल सम्यक्त्वके पच्चीस मल
२८२ तीन गुणवत लोकमूढ़ता
२८२ दिग्वतका स्वरूप और अतीचार देवमूढ़ता
२८३ अनर्थदंडवत पाषंडिमूढ़ता
२८४ अनर्थदंडके पांच भेद आठमद, छह अनायतन और
प्रत्येकके लक्षण शंकादि आठ दोष
२८५ अनर्थदंडके अतीचार सम्यक्स्वके भेद
२८६ भोगोपभोगपरिमाणवत उनकी उत्पत्ति
भोग और उपभोगका लक्षण सम्यक्त्वके आठ गुण
भोगोपभोगमें विशेष त्याग सम्यक्त्व उत्पत्तिके क्षेत्र अणुव्रतादि पंच उदुंबर त्यागका कारण ग्रहण और सम्यग्दष्टिका गमन २८६ फलभक्षण त्याग
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