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पृष्ठ. विषय. २९९
ग्यारहवां-अध्याय । विवाहविधि-कथन-प्रतिज्ञा कन्याका लक्षण वरका लक्षण वरके गुण
आयुपरीक्षण ३०० शुभलक्षणवाली कन्याका वरण
अशुभलक्षणवाली कन्याका फल ।
परीक्षा करने योग्य अंग ३०१ कन्याके शुभाशुभलक्षण
विवाहयोग्य कन्या ३०१ विवाह अयोग्य कन्या ३०१ विवाहके पांच अंग ३०२ वाग्दान ३०२ प्रदान
वरण ३०३ पाणिपीडन ३०३ सप्तपदी
गृहयज्ञ और अंकुरारोपणविधि
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विषय. जलकी मर्यादा तिलतंडुलोदकग्रहण-निषेध जलप्राशुक करनेकी विधि मांसवतके दोष शिक्षावतके भेद देशावकाशिककी सीमा सामायिक और प्रोषध वैयाव्रत और दानविधि नवधा भक्ति और सात गुण ग्यारह प्रतिमा दर्शन, व्रत, सामायिक और प्रोषध प्रतिमा सचित्तत्याग प्रतिमा प्रासुक द्रव्यका लक्षण रात्रिभुक्तित्याग प्रतिमा द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचर्य प्रतिमाका स्वरूप ब्रह्मचारीके पांच भेद उपनयन ब्रह्मचारी अवलंब ब्रह्मचारी अदीक्षा ब्रह्मचारी गूढ ब्रह्मचारी नैष्ठिक ब्रह्मचारी सद्गृहस्थ वानप्रस्थ भिक्षकका स्वरूप आरंभत्याग प्रतिमा परिग्रहत्याग प्रतिमा बाह्याभ्यन्तर परिग्रहके भेद .....----- अनुमतित्याग प्रतिमा उद्दिष्टत्याग प्रतिमा देशविरतीका विशेष कर्तव्य बत सुनकर घरपर आना बंधु वर्गका सत्कार
३१४ ३१४ ३१५
३१६
,
वर कर्तव्य
३१७
३१७
वरका वधूके घरपर गमन ३०४ विवाहके आठ भेद इ०४ ब्राह्मय विवाह
दैवविवाह
आर्ष-विवाह और प्राजापत्य-विवाह ___ आसुर विवाह और गांधर्व विवाह
राक्षस विवाह और पैशाच विवाह . ३१९ ३०५ उपवासपूर्वक कन्यादान
मतान्तर गांधर्व और आसुर विवाहमें विशेष विधि,
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--".-राक्षस
है. कन्याके बांधव
३०६ कन्याका अधिकार ३०६ विवाह कर्म ३०५ वरपूजन और वधूपूजन
३२०