Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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गावा नं.
३२५ ३२६
३२८ मे
प्रासाद
की
जीव
३३६ ३३७
काल
नालिका :
भोगभूमिज जीवोंका संक्षिप्त भव ____ नाम ।
बंभव भूमि | स्वच्छ, साफ, कोड़ों आदिसे रहित, निर्मल, दर्पण सहश,
पंचव तृण (पास) पांच वर्णकी मृदुल, मधुर, मुगन्धित और चार अंगुल
प्रमाण। वापिकाएँ अस मन्तु रहित और सर्व म्याधियोंको नष्ट करने वाले
अमृतोपम निर्मल जलसे मुक्त । अनेक प्रकारको मृदुल शय्याओं पोर अनुपम आसनोंसे
युक्त। पर्वस स्वर्ग एवं रत्नोंके पहिए. -तार वृमि
युक्त और उन्नत। नदिया उभय तटों पर रलमय सीढ़ियों से संयुक्त और अमृत
सदृश उत्तम जलसे साहस । विकलत्रय एवं प्रसंगी जीवोंका तथा रोग, कसह पौर ईर्धा आदिका अभाव। रात-दिन के भेद, पन्धकार गर्मी-मी को वाधा और
पापोंसे रहित। उत्पत्ति युगल उत्पत्ति होती है । अन्य परिवार एवं राम
नगरादि से रहित होते हैं। बल
एक पुरुषमें नौ हजार हाथियों के बराबर।। शरीर प्रशस्त १२ लक्षण युक्त । कवालाहार करते हुए भी
निहार से रहित। कल्पवृक्ष १० प्रकार के। पेय पदार्थ ३३ प्रकार के। वादित्र
नाना प्रकार के। आहार १६ प्रकारका । (१E) व्यजन-१७ प्रकारके । (१८)
दाल-१४ प्रकारको। खाद्य पदा १.८ प्रकार के। स्वाण पदार्थ ३६३ प्रकारके । (२१) रस-६३ प्रकार के। भवन
स्वस्तिक एवं नन्यावर्स मादि १६ प्रकारके। फूल मालाएँ १६००० प्रकार की। भोग
चकवक भोगसे अनन्तगुणे । भोग साधन विक्रिया द्वारा अनेक प्रकारके शरीर बनाते हैं। आभूषण पुरुष १६ प्रकारके और स्त्री के १४ प्रकारके। कला-गुण ६४ कलामोसे युक्त। संहनन वनवृषभनाराच । संस्थान समचतुरस शरीर ।
मरण कदली घात रहित । | भरणका कारण पुरुषका छोंक और स्त्रीके जम्माई।
३३०मोर ३४४-४५
३४.
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२८
३८६ ३४३ ३४३
रह
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