Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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मामा : ७६७७६१ ]
बंभाग मूलभाषा, सार्वशः मन्झिम-भाषा
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उवरिम-भागा उबल - मेवलियमया विभूसिया परयो ।
चामर घंटा किकिणि रयनादलि के पहि
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यो महाहियारो
बजार । :
-सहस्सन्पमा प्रतेक अनिष्ट निम्मदिया ॥७८७ ||
ताणं भूले उदार, पडिविसमेल्लेक्काओ,
२००० ।
अर्थ :--- प्रत्येक मानस्तम्भका मूलभाग दो हजार ( धनुष ) प्रमाण है और बच-द्वारोसे युक्त होता है। मध्यम भाग स्फटिक मरिसे निर्मित और वृत्ताकार होता है तथा उज्ज्वल सूर्य मणिमय उपरि भाग चारों ओर बाबर, घण्टा, कि किसी रत्नहार एवं ध्वजाइत्यादिकोंसे विभूषित रहता है ।।७६७-७८८
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अट्ट-महापाडिहेरि सुतायो । रम्माम जिनिंद-पडिमा ७८६॥
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५. प. म. म. माया तिम
अर्थ :- प्रत्येक मानस्तम्भ के मूल भाग में एवं उपरिभाग में प्रत्येक दिलायें आठ-आठ महाप्रतिहास युक्त एक-एक रमणीय जिन प्रतिमा होती है ॥७८६ ॥
मापुल्ला सिय-मिच्छा, विदूरवो बंसलोग गंभारतं ।
जं होंति गलिव-माणा, माणत्वं मे लि* तं भनिदं ॥१७६०॥
:- क्योंकि मानस्तम्भको दूरसे ही देख लेनेपर अभिमानी मिध्यादृष्टि लोग अभिमान
रहित हो जाते हैं मतः इन ( स्तम्भों ) को 'मानस्तम्भ' कहा गया है ।।७६० ॥
सालतय बाहिरए पक्कं चड-बिसासु होंति बहा । मोहि पछि पुज्यादि चकमेण सम्बेतु समवप्तरनेषु ॥७६१ ॥
. . . . BEZETÉSE, M. T. MEZSTE'ST 1
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२. प. मावी, म. व पश्या
४. उ. मं ।