Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
View full book text
________________
उस्को मद्दाहियारो
दोनों वक्षार पर्वतोंको अन्तिम मोर दो देशों की बादिम लम्बाई
माया : २६३७-२१३६ ]
प्रटु-छ-नव-वश्व-तिय-चतु
दो बक्सार गिरीगं, असं आवो णि विजयानं ।। २६३७॥
+
-
१४३१९६८ |
वर्ग:भाठ, सह, नी, नौ, तीन, चार और एक इस अंक क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और एकसौ छपत्तर भाग अधिक दो बार पर्वतों की अन्तिम तथा रम्या एवं पद्मकावती नामक दो देशोंकी मादिम लम्बाईका प्रभारण ( १४३९६६-३३ यो० ) है ।। २९३७ ।।
१४४०२३६ - ६x४३ - १४३६६६८३३ य० ।
दोनों देशों की मध्यम लम्बाई
नभ-यो- पण नभतिमचज एक्कं असा सयं च वीसहियं । मक्लिय दोहरी, रम्माए पम्मकार्यादए
१४३०५२० । ३१
-
[ use
-
॥ २६३८।।
:- शून्य दो परं शून्य, तीन, चार और एक, इस अंक कम से जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और एक्सो बीस भाग अधिक रम्या एवं पद्मकावती देशकी मध्यम लम्बाई ( १४३०५२०३३३ यो० ) है ||२६||
१४३६-३२- ४४८५१ - १४३०५२०३३१ मो० ।
दोनों देशों की अन्तिम और दो विभंग-नदियोंको भादिम लम्बाई
"
यो सग नभ-एक्क-दुर्ग व एक्कंसा तहेव चउडी । पो-विजयानं असं आविल्लं दो विभंग - सरिया ।। २६३६ ॥
-
१४२१०७२ |
अर्थ :- दो, सात, शून्य, एक, दो, चार और एक इस अंक कम से जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन भीर चौंसठ भाग अधिक दोनों देशोंकी अन्तिम तथा मत्तजला एवं सीतोदा नामक दो विभंग नदियोंकी आदिम लम्बाई (१४२१०७२
यो० ) है ।। २६३९॥
१४३०५२०१३३ - ६४४८३१५१४२१०७२
य० ।