Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 849
________________ -२२ ] माया ततो यश्वय बण ततो भवत्यदेवी उत्तो उत्साश्रा तसो बड़ी भूमो ततो जग्गा सध्ये राती तब्यकि Pr " तो यो वा तत्तो दाउ पुरो ततो दुस्समो ततो वय भूमीए ततो एमि ततो पढने पीडा तो पुरबेदी तो पविसद सुरिमं तो पविसदि रम्मो तो मंत्र जिसु तसो पृष्वाहमुहा तली बिदिया भूमी तसो विडिया साला ततो करे यतो भवमो सत्ती य वरिसम तो बरसहस् ततो विचित्तस्वा ततो विलोकयं दोष हत्ती सोचए तो मेगा हिव सरप लक्ष्य य तोरणवारे तस्य यदि विभागे सत्य व सत्यसो है सममा तस्युत्थिदण कुबुजिन पंचमे दियं व रिमभूमी गा ८११ ८४९ ८५७ ८३६ १५५९ १३३२ १२३६ KRU १९४१ tro ૨૧ २१३९ ८७४ १९४७ १६ १७ १५७६ १२२७ १३३० २१९६ ८१० ७२५ ८५ १८७ १८८ १९४५ १२४ २१३४ १३४८ ५४९ १७२० १९५२ १३५५ १४९ ७ १६४३ २१९६ गावा तिलोय पण्णत्ती मायदेवीयो सदिया पाला बजुण तद् विखणदारे " " तर मिसाइए तरूममणि दे " ८२५ ८३५ २३७५ २३९० २१८५ २३७२ २३७४ २३८८ Pi दारे आयो १७५१ १७८५ २३९७ १३३३ ६९३ ११०१ १९५४ २५७१ २५८० REE १४८५ किणतोरण तमोर 11 तोरण तापनिसिय महे तसे दिवसे म सद्दो परिवेदि सद्दीने निभवणं सोने पुष्यावर सम्पवेसम्म य तप्पणिधियेदिदारे सम्पम्यवत्स वरि सप्पासाहे जिस दि सम्म हवीमि भूगो जादा सम्म रम्माद सम्म परसादी सम्पति बपवेसे माक सम्म तिदिवगदे 11 F सम्म समयदे गाया सं तमंदिर बहुम सम्म मला से सम्मिठिया सिरिदेवी १३३१ २२६ २१२ १९५५ *** १४२ כ150 माया उम्म पये माहारे सम्भवणे दुम्बादिसु शमिवणे बरोररण ४७१ ५०१ ४५१ ४५१ ४६० ४६४ १८६३ १४८६ १६६४ सहस् सोहिय सिमभूमिभागे मोविसमा तरुनिरिमंदिरा सबश्वराणामा दलिय ++ सभ बेदी दारे रणाली बहु सदाभा शस्स देना मदरसा तरस विश्वारो सम " #4 " बहुपक् " " यस बहुमभागे तस्तरको तस्य उत्तरजीवा तरस जूलियमाणं स्प लस एप से तस्य पुग्दो खो लम्स सयवत्तमंत्रण तस्मि तपा तस्सिकाले चिय तहि कामे मणुषा कामे होदि शस्प्रिं कुबेरनामा हिमं जंबूद्री भाषा ० ત્ RE૬૦ २०३० २०१३ २०६ ३४९ १५६७ २०१२ १०५८ १८७१ १८७८ २३८२ १६७२ ६ tet २५७ १५३ १५५७ १६२१ tere २१७८ २३७८ २२६ १६४० १६४९ १२०८ १४८९ १६२५ २३८८ २८० ३३८ ४.२ २०३ १२७६ १५१४ १

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