Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
View full book text
________________
७७८ ]
तिलोपएण्णासो : [ गाथा : २५०४-२
दोनों नदियोंकी मध्यम लम्बाई-- . पार-गव-जब-मि--गम-सचिन सामवीस-हिय-स। मग्भिल्ल - गहवदीए, बीहत फेणमालिनिए ॥२६० -
२०.१६६४ ' पर्ष:-बार, नो, नौ, एक, शून्य, शून्य और दो, इस अंक क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन मोर एकसौ बीस मान प्रषिक अहवती और फेममासिनी नदीको मध्यम लम्बाईका प्रमाण ( २०.१६६४१ योजन) है ।।२६०४।।
२००१७५५३+२३८११-२०१६ योजन है ।
दोनों नदियोंकी अन्तिम तथा दो क्षेत्रोंको प्राविम सम्बाईतिय-सिय-दो-दो-खण्ममपोस्चिय संसा तहेब घरवास ।
अंत को - सरिया, आरो :आवत्त .. बप्पकावविए ॥२६०५॥ kexi ... BTEE १३०३.२४
वर्ष:-तीन, तीन, हो, यो पून्य, रम्प और परे इस अंक असे को संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और पवालोस भाग अधिक दोनों मदियोंको अन्तिम तपा मावर्ता एवं वप्रकावती क्षेत्रको धादिम लम्बाई (२००२२३३४ पो.) है ॥२०॥ २.०१६६ +२३ -२००२२३३यो ।
दोनों क्षेत्रोंकी मध्यम लम्बाईएक्काट-छ-एपकेस्क, - दुग अंसा सहेर एकक - समं । .. मझिल्लय - बोहतं, आणता - बप्पकावदिए १२६०६॥
२०११६८१२ . . . मर्म:-एक, माठ, एक, एक सून्य मौर दो इस अंक क्रमसे :मो संख्या उत्पल हो उतने योजन और एकसो माग अपिक आवर्मा तथा वप्रकावती क्षेत्रोंकी मध्यम सम्बाई ( २०११६८१ मो० ) है ॥२९.६।।
२००२२३१m+ ext-२०१११यो ।
१. व. प. उ. पम्मकालिए।