Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 813
________________ xref :... RETAIL रक्षा ७०६ ] तिसोयपणती [ गाया : २६२८-२९३. दोनों वक्षार-पवंतोंको मध्यम लम्बाईहुग-बम-एपिकांग-अब-बस-एवं सा समं च पलसोयो। सावधिमायंजण' - गिरिम्मि मझिल्ल - दोहत ॥२९२८॥ ४११०२ । । प्रबं-दो शून्य, एक, एक पाठ, पार और एक, इस अंक कमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और एकसी चौरासी भाग अधिक श्रद्धावान और बारमांजन पर्वतको मध्यम लम्बाई (१४८११०२% यो ) है ।।२९२८॥ १४८२०५७४ - १५४३१३-१४८११०२ यो.1 दोनों पर्वतोंकी मन्तिम तथा दो क्षेत्रोंकी प्रादिम लम्बाईपष्टु-बान-एषक-यम-अर-घउ-एकसा कमेण उसनी । हो गिरीजं प्रस, प्रादौओ बोणि - विनयानं ॥२६२६।। १४८०१४८ । म:-आठ, पार. एक, शून्य, माठ, वार और एक, इस अंक ऋमसे जो संख्या उत्पन हो उतने योजन और चौसठ भाग अधिक दोनों पर्वतोंकी-अन्तिम और सूचना एवं रमणीया नामक दो देशोंकी आदिम लम्बाईका प्रमाण ( १४८०१४८ योजन) है ॥२९२६।। १४८१५०२१ -६५४३३१४१४ योजन। दोनों क्षेत्रोंकी मध्यम लम्बाईखंगभ-सग-पम-सग-पास-गि-संसा मट्ट'मन्झ-वीहत । पत्तेक सुपम्माए, 'रमणिमा - पाम • विजयाए ॥२६३०॥ १४७०४०० । प:-शून्य, शून्य, सात, शून्य, सात, चार और एक, इस अंक क्रमसे जरे संख्या उत्पन्न -हो उतने योजन और पाठ माग प्रमाण अधिक सुपपा तथा रमणीया नामक दो देशोंमेंसे प्रत्येककी मध्यम समाई (१४७०७.० पो०) है ॥२६ ॥ ४८.१४ -१४ १४७०७.. यो । ... .. २. सादि । २. .... म. उ. पट्टा .. . रमणिलाम ।

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