Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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चउरको महाहियारो
दोनों नदियोंकी अन्तिम और दो देशों को आदिम सम्बाई
युग-एक्क-च---भ-दो मिसा सर्व च चउदा । दोन नवोरणं अंतं, माथिल्लं बोसु विजयानं ।। २६१३ ॥
गाथा : २६१३-२६१६ 1
२०४२४१२ । १५५
-दो एक, चार, दो, चार शूग्य और दो इस अंक क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उसने योजन और एक सौ बवालोस माग अधिक दोनों नदियोंको अन्तिम और पुष्कला तथा सुखप्रा नामक दो क्षेत्रों की मादिम लम्बाई । २०४२४१२ यो० ) है | २६१३।।
२०४२१७४,६२+२३८३३३= २०४२४१२३६३ यो० ।
दोनों क्षेत्रोंकी मध्यम लम्बाई
भ-छ- पिन-णभ-दो किचय प्रसानि दोन्नि-सयमेतं । महिल = श्रीस पोल "जिए भुवाए ।२६१४ ।।
२०५१६० । ३९९
प्र :- शून्य, छह आठ, एक, पाँच, शून्य और दो, इस अंक क्रम से जो संख्या निर्मित हो उसने योजन और दो सौ भाग प्रमाण अधिक पुष्कला एवं सुबप्रा विजयको मध्यम लम्बाई (२०५१८६०३२ यो० ) है ||२९१४।।
२०४२४१२३३ + ६४४८१ = २०५१८६०३२ यो० ।
दोनों क्षेत्रों को अन्तिम और दो वक्षार पवंतोंकी प्रायिम लम्बाईनव-गभ-तिय- इगि छन्णभ-वो स्विय साय होंति उबाल वो विजया
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प्रतं विल्लं एक्कसेल चंद नगे ॥२६९५ ।।
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२०५१८६०३२+६४४८३२०६१३०१३
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२०६११०६ । १
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नो, म्प, तीन, एक छह, मूल्य और दो, इस अंक क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उसने योजन और चवालीस भाग अधिक दोनों विजयोंकी अन्तिम तथा एकल मौर चन्द्रनगकी
प्रादिभ लम्बाई ( २०६१३०१३ योजन ) है ।। २१५।
यो० ।
दोनों वक्षार-पर्वतोंकी मध्यम लम्बाई
तिय-छ- दो- दो-खम-वो चिय शंसा सयं वचसी । मल्लिय दोह होदि पुढं एक्कसेल चंदनगे ॥ १११६॥
२०६२२६३ | ३३३