Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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तिलोयपरणती - [पापा : २६१५-२९१६ मपं:-तीन, बह, दो, दो, छह. शूम्प मोर दो, इस मंक क्रमसे जो संस्मा उत्पन्न हो उतने योजन पोर एकसो घाँस: भाग अधिक एकशंस एवं चन्द्रनगको मध्यम लम्बाई (२०६२२६३६यो.)
२०६१३० +५४१३-२०६२२९३1यो ।
होनों पूर्वतोंको मनिस मरेर दो तेशोंकी आदिम लम्बाईपट्टिगि-युग-लिंग-कम-वो रिभय मंसा' बुरासरी प्रतं । वोहं दोसु गिरोग, मावो बप्पाए पोसलारिए ||२९१७॥
२०६३२१८ । । मय: भाठ एक, दो, तीन, सह, शून्य पोर दो, इस अंक क्रमसे जो संस्था उत्पन्न हो उतने पौषन मोर बहत्तर भाग अधिक दोनों पर्वतोंको अन्तिम तपा वा एवं पुष्कलापती देणकी माविम लम्बाई ( २०६१२१८ पो.) २६१७॥ २०६२२६३31+tv91-२०६३२१८ र यो।
दोनों देशोंको मध्यम लम्बाईछच्छक छक-युग-सग-गभ-दुग असा सयं व अउदोस । मरिझल्लय • बीहरी, बप्पाए पोक्सलापविए ॥२६॥
२०७२६६६ । । प्र:-छह छह, बह, दो, सात, शून्य और वो इस अंक क्रमसे जो संख्या निर्मित हो उतने योजन और एकसौ मट्ठाईस भाग मधिक वा एवं पुस्कलावती देशको मध्यम लाम्बाईका प्रमाण (२०७२६५६ यो ) है ।।२६१८॥
२०६३२१-0+YE २०७२६६६ यो । दोनों देशोंकी प्रन्सिम और वेवारण्य एवं मूलारम्पको आदिम लम्बाईबार-एक-एक्का-दुग-म-णभ-वो बसा सयंप चुलसीदो। बप्पाए प्रत - वीहं, मादिरूल देव - मगरम्नाचं ॥२९१६॥
२००२११४। । प्र:-चार, एफ, एक, दो, पाठ, गून्य और दो, इस अंक क्रमसे जो संन्या उत्पन्न हो उतने पोजन और एकसौ पौरासी माग अधिक देना (और पुष्कलावती) देशको पन्तिम तपा देवारण्य एवं भूतारण्यकी मादिम लम्बाई ( २०८२१ योजन) २८१६॥
२०७२६५९+art-२०२११४यो ।
१.प... क. अ.र, असा ।