Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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७२० ]
तिलोंमपास
[ गाया : २६६८- २६६०
अर्थ : वस्तु ( गधा ) और कच्छकावती देशकी मध्यम लम्बाई सह, शून्य, माठ, सोन, चार और पांच इस अंक क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और पूर्वोक्त एकसौ बीस माग व्यधिक ( ५४३८०६६१ योजन प्रमाण ) है ।।२६८७११
योजन ।
दोनों देशों की अन्तिम घोर दोनों नदियोंको आदिम लम्बाई
५३९२२२३३३+४५८४५४३८०६३
भ-पव-तिय-अड-च-पण पुलवतंसान बो बिजएस गहवदिए फेशमालिणि, अतिम- प्रादिल्स बोहरा
आप आ
·
५४८३६० | १३३ ॥
अर्थ :- वल्गु (गन्धा) मोर कच्छकावतो देशोंको अन्तिम तथा ग्रहवती एवं फेनमालिनी नामक विर्भगदियों को आदिम लम्बाई शून्य, नौ सीन, माठ, चार और पांच इस अंक क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और पूर्वोक्त एकसी बोस भाग अधिक ( ५४५३१०२३१ योजन प्रमाण ) है ॥२६६८।।
५४३८०६३ + ४५८४ = ५४ = ३९०३२ योजन |
दोनों नदियोंको मध्यम लम्बाई-.
नव-भ-पल-ज-घउ पण भागा वातरोसिवं रोहं ।
मक्लि गहबबीए, तह छेब म फेणमालिभिए । २६६६ ।।
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५४८५०६ । ३३ ।
वर्ष :- मस्ती और फेनमालिनी नदियोंकी मध्यम लम्बाई नौ शून्य, पाँच, आठ, चार मौर पाँच इस अंक क्रमसे जो संख्या निर्मित हो उतने योजन और एकसी बहत्तर भाग अधिक योजन प्रमाण ) है || २६८१ ।
(५४८९०६
५४८३६०३३३+११६२ = ५४८५०९११३ योजन |
दोनों नदियोंकी अन्तिम तथा दोनों देशोंको पादिम लम्बाई
नव-वो-छ-म-प-पण असा वारस विभंग-सरिया | अतिल्लय
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बोहल, प्रादी प्रावत कन्पकावविए ॥२६६०॥
५४८६२६ | |