Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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७३० }
तिलोमती
दोनों देशोंकी मध्यम लम्बाई
सम-मि-व-व-सग-युग, भागा ता एवं मझ-वोहसं ।
पसेवक सुषम्माए, रमणिज्जा
विजपासु
[ गाथा : २७१६-२७२२
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२७६६१७ |
- सुपधा और रमणीया नामक क्षेत्रों में से प्रत्येककी मध्यम लम्बाई सात, एक, नो, नी, सात और दो इस अंक कमसे जो संख्या उत्पन्न हो उससे उत्तर भाग अधिक अर्थात् २७६११७१६ योजन प्रमाण है ।। २७१६ ॥
दोनों क्षेत्रोंकी अन्तिम तथा दो विभंग नदियोंकी आदिम लम्बाई
अयं नदियोंमेंसे प्रत्येक उत्पन्न हो उससे पूर्वोक्त
नाम विजयाए ।।२७१६ ॥
तिथ-तिषिण- तिष्णि-पण सग दोणि य अंसा तहेब बोहरा । वो विजयानं असं आविल्लं वो विभंग - सरिमाणं ॥ २७२० ।।
२७५३३३ । ।
उपर्युक्त दोनों क्षेत्रोंकी मन्लिम तथा क्षीरोदा एवं उन्मतजसा नामक दो विभंगमादिम लम्बाई तीन तीन पचि, सात और दो इस अंक क्रमसे जो संख्या तर भाग अधिक अर्थात् २७५३३३३६ योजन प्रमाण है ।।२७२० ।। दोनों विभंग नदियोंको मध्यम लम्बाई---
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- इगि बुग-पण सग दुग भागा बद्धकोसमेत बोहत । मल्लिं
क्षीरोदे, उम्मत णदिम्मि पत्त कं ॥ २७२१ ।।
२७५२१४६
अर्थ :- क्षीरोदा और उन्मतजला मेंसे प्रत्येकको मध्यम लम्बाई चार, एक, दो, पांच, सात श्रीर दो, इस अंक क्रमसे निर्मित संख्यासे चोवीस भाग अधिक अर्थात् २७५२९४३६३ योजन प्रमाण है ।। २७२१ ॥
दोनों नदियोंकी अन्तिम और दो देशोंको प्रादिम लम्बाई
उ-रब- अंबर- पण सग-दो भागा चचरसीवि-हिय सयं ।
दणं वीण अंतिम-बीहं आविल्स दोसु बिजयासु ।।२७२२॥
२७५०६४ । ६६ ।
१. ड. . . उ. खारी २.द. ब. क. ज. उ. श्रीपाद २.उ.विजय...