Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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७३६ ]
तिलोयपणाती
दोनों नदियोंकी अन्तिम और दो देशोंकी प्रादिम लम्बाईप्रतिय-भय- बुग, भागा सट्ठीहि श्रहिय-सय बी । शे वेभंग णवीरणं, अंतं आवी हु दोसु विजसु ।।२७३८ ।।
२३६०३६
अर्थ :- उपर्युक्त दोनों विभंग नदियोंकी अन्तिम तथा कुमुदा एवं सुवस्सा नामक दो देशों मेसे प्रत्येककी आदिम लम्बाई, सह, तीन, शूग्य, यह सोम और दो इस अंक कमसे जो संस्था उत्पन्न हो उससे एकसौ साठ भाग अधिक अर्थात् २३६०३६६६६ योजन प्रमाण है ।। २७३८ ।। ११९-२३६०३६६।१ योजन ।
२३६१५६
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दोनों वंशोंकी मध्यम लम्बाई
बो-पण-उ-ग-तिय-युग, भागा सट्टीहि श्रहिप-सयमेतं ।
मझिम पएस दोहं कुमुदाए सुवच्छ विजयम्म ।।२७३६ ॥
श्री सु
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[ गाथा २७३८-२७४०
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मार्गर्शक :
धर्म :- कुमुदा तथा सुवस्सा देशमेंसे प्रत्येकको मध्यम लम्बाई दो, पांच, चार, एक, तीन और दो इस अंक कमसे जो संख्या उत्पन्न हो उससे एकसौ साठ भाग अधिक अर्थात् २३१४५२३१३ योजन प्रमाण है ।। २७३६ ।।
२३६०३६३१ -- ४५८४ = २११४४२
योजन दोनों देशोंको अन्तिम तथा दो वक्षार-पर्वतोंकी बादिम लम्बाई
-व-भय--दो-दो स्विय सठ्ठीहि महिय-सय-भागं । विजयानं वखारे, प्रतिल्लाबिल्ल बोहत ॥२७४०||
२२६८६८ । ३३ ।
पर्व :- दोनों देशोंकी अन्तिम और सुखावह मौर त्रिकूट नामक दो वक्षार पर्वतोंकी श्रादिम लम्बाई भाऊ, छह, बाठ, छह दो और दो, इस अंक क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उससे एकसी साठ भाग अधिक अर्थात् २२६८६८३१३ योजन प्रसारण है ।। २७४०
२२१४५२३१ - ४५८४ २२६८६८१
योजन ।
१. उपरि-लिखिताद माषा र प्रतो मरपि निखिताः ।