Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
View full book text ________________
गापा । २७५६-२७७४ ] धनस्पो महाहियारो
[ ७५ ब्धिय सयाणि पण्णा-दुतागि बोयणाणि असावो । पमितिम गिरि - पणिवीस, वीषा पास-विखंभा' ॥२७६६॥
६५० | ५०। म :-दोनों तटोंसे छहसी पपास (६५० योजन प्रवेश करके पर्वतोंके प्रणिधिभागोंमें अन्तरद्वीप स्थित है। उनमें से प्रत्येकका विस्तार पचास ( ५० ) योजन प्रमाण है ॥२७६९।।
पतंको बौवा, तर - बेदी - तोरणेहि रमणिमा ।
पोरसरणी - बायोहि', कप्प • बुहिं पि संपुष्णा ॥२७७०॥ ११.४५ गार्ड:-शोर कीप स्ट: लेडी अबड पोरन स्थान और पुष्करिणी, वापिकाओं एवं । कल्पवृक्षोंसे परिपूर्ण है ।।२७४०॥
इन द्वीपोंमें स्थित कुमानुषोंका निरूपणमल्ह ' मस्सकन्ना, पक्सिमुहा तेसु हस्पिकपणा य ।
पुष्बावीस दिसेलु, दि चिटुति कुमाखुसा कमसो ॥२७॥
वर्ष :-उनमें से पूर्वादिक विशाओं में स्थित द्वीपोंमें क्रमश: परस्यमुख, अश्वकर्ण, पक्षिमुख मोर हस्तकर्ण कुमानुष स्थित है ।।२७७१।।
अगिलबिमानु" सूपर-कच्या पोवेमु ताण विपिसासु" । अट्ठतर • दीवेस, पुष्पग्गि - बिसावि - गणिना ॥२७७२।। बेहुति 'राकन्ना, भाजारमुहा पुणो वि तज्जीवा । करणप्पावरमा गणवणाय मज्जार - वपणा य ॥२७७३॥ मजार - मुहा य तहा, गो - कन्ला एवमट्ट पत्तेपर्क । पुब्बा-पवाग्मित-बहुविह-पाव-फोहि 'कुमणुसानि जापति ।।२७७४।।
-. - -- .१. क.अ.है. पिसभो। २. प.ब.क.ब. उ. पापीमो। १... उ, पण महा । ४... ज. उ. पेटुति। ५. प. ब. क. म. .. पशिविसासु। .. ... .ज. न. विसासु । ....... सकम्पा । ८. ६. न. सरणा मागमा, १ क, न, धागण।। १. स. प. प. उ. कुमणुसगोमाणि, क. कुमासगीवाणि ।
Loading... Page Navigation 1 ... 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864 865 866