Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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तिलोयपणती [ गापा ! २०१५-२८८८ विशेवा ।-गापा २८७१ में प्रत्येक क्षेत्रका विस्तार १९९४ यो. हा गया है। गापा २८६३ - २०४ के नियमानुसार-1 ( १९७६ ) x १० x ३२ ] : २१२ - Emer योजन क्षेत्रोंको वृद्धिका प्रमाण है।
वक्षार पर्वतों की वृद्धिका प्रमाणचवन्नम्माहियारिण', सयाणि राव जोमगाणिसह भागा । बोसुत्तर - सयमेत्ता, पसार • गिरोण परिपक्षो ॥२८९६॥
. १५४ | 81 पर्ष:-नौसौ चौवन पोजन पोर एकसौ बौस भाग प्रमाण वक्षार-पवंतोंकी वृद्धिका प्रमाण है ॥२८९६॥
मिमा गापा २६४ में प्रत्येक समाजका विस्तार २१६-१. योजन कहा गया है, पता . [( २.००x१०४३२] २१२=KANERE यो वक्षार वृद्धिका प्रमाण है।
विभंग नदियोंकी वृद्धिका प्रमाणजोयन - सयारिण दोषिण, अनुत्तीसाहियानि तह भाषा । छत्तीस - उत्तर - सयं, विभंग - सरियाग परिवाही ।।२५६७।।
२३८ । बर्ष।-पोसी अड़सोस पोजन और एकसौ खत्तीस माग मषिक विभग-नदियोंको वृद्धिका प्रमाए है ।।२०६७।।
विवा:-गाथा २०७२ में प्रत्येक विभंग नदीका विस्तार .. योजन कहा गया है, मत: [(५००}"xtox१२२१२-२३८३१॥ यो ।
देवारण्यके स्थानोंमें वृद्धिका प्रमाणपंच - सहस्सा गोयल, पंच - समा अट्ठहत्तरी - बुचा । बउसीदि-बुर - सर्वसा, वारणाग परिबढी ।।२।।
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१. प. ब. महिनाएं।