SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 799
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७७२ । तिलोयपणती [ गापा ! २०१५-२८८८ विशेवा ।-गापा २८७१ में प्रत्येक क्षेत्रका विस्तार १९९४ यो. हा गया है। गापा २८६३ - २०४ के नियमानुसार-1 ( १९७६ ) x १० x ३२ ] : २१२ - Emer योजन क्षेत्रोंको वृद्धिका प्रमाण है। वक्षार पर्वतों की वृद्धिका प्रमाणचवन्नम्माहियारिण', सयाणि राव जोमगाणिसह भागा । बोसुत्तर - सयमेत्ता, पसार • गिरोण परिपक्षो ॥२८९६॥ . १५४ | 81 पर्ष:-नौसौ चौवन पोजन पोर एकसौ बौस भाग प्रमाण वक्षार-पवंतोंकी वृद्धिका प्रमाण है ॥२८९६॥ मिमा गापा २६४ में प्रत्येक समाजका विस्तार २१६-१. योजन कहा गया है, पता . [( २.००x१०४३२] २१२=KANERE यो वक्षार वृद्धिका प्रमाण है। विभंग नदियोंकी वृद्धिका प्रमाणजोयन - सयारिण दोषिण, अनुत्तीसाहियानि तह भाषा । छत्तीस - उत्तर - सयं, विभंग - सरियाग परिवाही ।।२५६७।। २३८ । बर्ष।-पोसी अड़सोस पोजन और एकसौ खत्तीस माग मषिक विभग-नदियोंको वृद्धिका प्रमाए है ।।२०६७।। विवा:-गाथा २०७२ में प्रत्येक विभंग नदीका विस्तार .. योजन कहा गया है, मत: [(५००}"xtox१२२१२-२३८३१॥ यो । देवारण्यके स्थानोंमें वृद्धिका प्रमाणपंच - सहस्सा गोयल, पंच - समा अट्ठहत्तरी - बुचा । बउसीदि-बुर - सर्वसा, वारणाग परिबढी ।।२।। ५५७ १. प. ब. महिनाएं।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy