Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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गाया : २८१५-२०१७ ]
उल्मो महाहियारो
[ ७७५
आठ, दो एक, दो, पाँच, नौ ओर एक, इस अंक क्रमसे जो संख्या निमित हो उतने योजन और चालीस भाव प्रमाण अधिक सुकच्छा और गन्धिमा test मध्यम लम्बाई ( १९५२१२-१२ यो ) है ||२८६४||
१६४२६७६६३+४४८
= १९५२१२०६९ यो० है ।
यूँ श्री रविवारी दोनों देशोंको अन्तिम और दो विसंगा नदियोंकी आदिम लम्बाई
छल्सग पण हगि छण्णव एक्कं झंसा य होंति छनउबी ।
वो विजयाणं अंतं, आदिल्लं दोमि सरिमाणं ||२८६५॥
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१६९१५७६ |
अर्थ:-छह साल पाँच, एक, छह नौ और एक, इस अंक क्रमसे जो संस्था उत्पन्न हो उतने योजन और छ्यानवं भाग अधिक (१६६१५७६३६ मो०) दोनों देशोंकी अन्तिम तथा दवती मौर, ऊर्मिमालिनी नामक दो नदियोंको आदिम लम्बाई है || २६९५ ।।
१६४२१२३+४४८३१३ = १६६१५७६२ योजन
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दोनों विभंगा नदियोंकी मध्यम लम्बाई
पण - इगि अडिग छन्णव-एक्क अंसा य वोसमेतानि ।
दहवधी उम्मिमासिसि प्रक्भिमयं होनि वीहरु' ॥२८६६ ॥
१६६१८१४ । ६ ।
अर्थ :- पांच, एक, ग्राऊ, एक छहू, नौ खोर एक, इस अंक क्रम से जो संख्या उत्पन्न हो उसने योजन और वीस मार्ग प्रमाण अधिक ( १९६१८१५३६६ यो० ) द्रवतो और ऊर्मिमालिनी नदियोंकी मध्यम लम्बाई है ।।२८६६ ।।
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१. ब. ब. क. ज. उ. दोहस्स ।
१६६१४७६+२३८३ - १९६१८१५३योजन |
दोनों नदियोंकी अन्तिम और दो क्षेत्रोंकी श्रादिम लम्बाईतिय-पण-सं-युग--एव छप्पन्न-सहिय-सय-शंसा । दोन्हितं, महकन्छ - सुवग्गुए प्रावो ॥। २८६७॥
१९६२०५३ |