Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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गाया : २७४१ - २७४३ ]
जत्थो महाहियारो
दोनों वक्षार पर्वतों की मध्यम लम्बाई
इगिणव-तिय-खद्दो- वो, अंक-कमे जोयनानि सय-भागं । मल्लिय बीहत सुहाबहे सह तिकूडे व ।। २७४१॥
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२२६३११ । १ ।
प्र :- सुबाव और त्रिकूट पर्वतकी मध्यम लम्बाई एक, नौ, दोन, छह, दो और दो इस अंक क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उससे एकसौ भाग मुषिक वर्षात २२६३६११६ डेल एम है ।। २७४१ ।।
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२२६८६८६११ - ४७७६= २२६३१६९९ योजन ।
दोनों वक्षारोंकी अन्तिम और दो देशोंकी आदिम लम्बाईच' इगि-व-पण-यो-यो प्रंसा वालोसमेत पक्कं ।
यो वरसार - विजए, मंतिल्लाविरुल बोहत ॥२७४२॥
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२२५६१४ ।।
अर्थ :- दो वक्षार पर्वतों की अन्तिम लम्बाई और सरिता एवं वरसा देशोंमेंसे प्रत्येककी अन्तिम लम्बाई चार, एक नो पांच दो और दो इस अंक क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उससे पालोस माग अधिक अर्थात् २२५११४योजन प्रमाण है ।। २७४२ ।।
२२६३९१२१३ – ४७७२१ - २२५६१४३६ योजन |
दोनों देशोंकी मध्यम लम्बाई
भ-तिय-तिय-मि-दो-दो अंक कमे हु-हव-बीस भागा य ।
सरिवाए वच्छ विजए, परोषकं मझ दीह ।। २७४३ ।।
२२१३३० । ४३ ।
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अर्थ :- सरिता और दस्सा देवामेंसे प्रत्येककी मध्यम लम्बाई शून्य, सीन, तीन एक, दो और दो, इस अंक क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उससे चालीस भाग अधिक अर्थात् २२१३३०२ योजन प्रमाण है || २७४३ ॥
२२५१४६
४४६४-२२१३३०६ योजन ।
१. विष तिवखहोषो २. व. म. . . . लिए बप्प
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