Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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गाया : २७३५-२७३७ ]
कार्यक्रर्तक
उत्यो महाहियारो
दोनों देशोंकी मध्यम लम्बाई
नव- पण अणभ- चउ-दु-अंक-कमे प्रसमेव मणिमए
२४०८५६ ६
अर्थ :-- महावत्सा और नमिना देशोंमेंसे प्रत्येकको मध्यम लम्बाई नो, पाँच, पाठ, शून्य, चार और दो, इस अंक क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उससे घावन भाग पचिक अर्थात् २४०५ योजन प्रमाण है २७३५।।
२४५४४३६१२
४५८४ - २४०८४६
योजन |
दोनों देशों की अन्तिम और दो विभंग नदियोंकी आदिम लम्बाई
पण सग-दो-तिय-युग, भागा बावण वोणि-विजयानं ।
जे बेभंग' लवीनं अंतिम आदिल्लीहतं ॥२७३६॥
-
—
छप्पर वोहल
एताए ।
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वण्णं ।
- विजयम्मि ।।२७३५ ।।
·
२३६२७५ | २६ ।
वर्ष:-दोनों देशों की प्रतिम और सप्तजला एवं बोधवाहिनी नामक दो विभंग मदियों से प्रत्येककी आदिम लम्बाई पाँच, सात, दो, छह, तीन और दो इस अंक क्रम से जो संख्या उत्पन्न हो उससे बावन भाग अधिक ( २३६२७योजन ) है || २७३६||
२४०८५६६१३ – ४५८४ = २३६२७५६५३ योजन |
दोनों विभंग नदियोंको मध्यम लम्बाई
- छत्तिय युग-पंक-कर्म घोषणाणि मज्झिमए । तचखले, "ओसहवाहीए पत्तेक्कं
२३६२७५३ - ११ = २३६१५६ योजन ।
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[ ७३५
।।२७३७॥
२३६१५६ ।
वर्ष :- तप्तजला और बोषषवाहिनी मेंसे प्रत्येकको मध्यम लम्बाई छह, पाँच, एक, छह. तीन और दो, इस अंक कमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने ( २३६१५६ ) योजन प्रमाण है ।। २७३७।।
१. ब. उ. महषध्याए, व. क. ज. मध्य ए 1 3. 4. 5. a. fqvi ( 3. X. 7. 5. E, J.