Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

View full book text
Previous | Next

Page 759
________________ ___७३२ ] सिलोयपाती [ गाथा : २७२६-२७२६ मर्ग:-पञ्चन और विजटावान् इन दोनों वजार-पर्वतोंको मध्यम लम्बाई नौ, पार, चार, पाच, छह और दो, इस अंक क्रममे जो संख्या उत्पन्न हो उससे एकसो चौबीस भाग अधिक अर्थात् २६५४४६ योजन प्रमाण है ।।२७२५॥ २६५९२६11 - ४७७%8=२:५४४योजन । . दोनों वक्षारोंको अन्तिम और दो देशोंकी आदिम लम्बाईदो सग-णब-पर-छ-दो भागा चउसद्धि प्रत - बीहत । दो - वक्षार - गिरीणं, पारीयं दोसु विजए ॥२७२६॥ २६४६७२ 148 मर्ष :-दोनों वक्षार-पर्वतोंकी अन्तिम तथा रम्मा एवं पप्रकावतो देशको मादिम सम्बाई दो, सात, नो, चार, छह और दो, इस प्रक-क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उससे चौसठ माग अधिक अर्यात् २६४६७२ योजन प्रमाण है ॥२५२६।। itvRNA NEHTAPUोजन । दोनों देशोंकी महयम सम्बाईप्रादुर-तिय-भ-छ-छो भागा चउसटि मण्म - बोहत । रम्माए पम्मकाववि - विधवाए होदि पत्तेमकं ॥२७२७।। २६०३८८ । । म:-रम्या भौर पनकावती देशमेंसे प्रत्येककी मध्यम लम्बाई पाठ, माठ, तीन, शून्य. छह और दो, इस अंक क्रमसे ओ संख्या उत्पन्न हो उससे चौसठ माग अधिक कर्यात २१०३८ योजन प्रमाण है ॥२७२७॥ २६४६७२४-४५८४२६०३८ पोजन । दोनों क्षेत्रोंकी मन्तिम तथा दो विभंग नदियोंकी प्रादिम लम्बाईचउ-भ-अर-पण-पण-चुग भागा ता एव वोग्सि विजया। अतिरूलय - वीहस, प्रादिल्लं बो- विमंग - सरिया ॥२७२८॥ २५५८०४ 11.1 :-उपर्युक्त दोनों क्षेत्रोंको अन्तिम तथा मतजला और सोतीवा नामक दोनों नदियों की आदिम लम्बाई चार, शून्य, पाठ, पांच, पाच और दो. इस अंक-कमसे जो संख्या उत्पन्न हो उससे भौंसठ भाग अधिक अति २५५८०४१ योजन प्रमाण है ।२७२८।। २६०३८६५ - ४५८४=२५५८०४ योजन ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864 865 866