Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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सिलोयपाती
[ गाथा : २७२६-२७२६ मर्ग:-पञ्चन और विजटावान् इन दोनों वजार-पर्वतोंको मध्यम लम्बाई नौ, पार, चार, पाच, छह और दो, इस अंक क्रममे जो संख्या उत्पन्न हो उससे एकसो चौबीस भाग अधिक अर्थात् २६५४४६ योजन प्रमाण है ।।२७२५॥ २६५९२६11 - ४७७%8=२:५४४योजन । .
दोनों वक्षारोंको अन्तिम और दो देशोंकी आदिम लम्बाईदो सग-णब-पर-छ-दो भागा चउसद्धि प्रत - बीहत । दो - वक्षार - गिरीणं, पारीयं दोसु विजए ॥२७२६॥
२६४६७२ 148 मर्ष :-दोनों वक्षार-पर्वतोंकी अन्तिम तथा रम्मा एवं पप्रकावतो देशको मादिम सम्बाई दो, सात, नो, चार, छह और दो, इस प्रक-क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उससे चौसठ माग अधिक अर्यात् २६४६७२ योजन प्रमाण है ॥२५२६।। itvRNA NEHTAPUोजन ।
दोनों देशोंकी महयम सम्बाईप्रादुर-तिय-भ-छ-छो भागा चउसटि मण्म - बोहत । रम्माए पम्मकाववि - विधवाए होदि पत्तेमकं ॥२७२७।।
२६०३८८ । । म:-रम्या भौर पनकावती देशमेंसे प्रत्येककी मध्यम लम्बाई पाठ, माठ, तीन, शून्य. छह और दो, इस अंक क्रमसे ओ संख्या उत्पन्न हो उससे चौसठ माग अधिक कर्यात २१०३८ योजन प्रमाण है ॥२७२७॥
२६४६७२४-४५८४२६०३८ पोजन ।
दोनों क्षेत्रोंकी मन्तिम तथा दो विभंग नदियोंकी प्रादिम लम्बाईचउ-भ-अर-पण-पण-चुग भागा ता एव वोग्सि विजया। अतिरूलय - वीहस, प्रादिल्लं बो- विमंग - सरिया ॥२७२८॥
२५५८०४ 11.1 :-उपर्युक्त दोनों क्षेत्रोंको अन्तिम तथा मतजला और सोतीवा नामक दोनों नदियों की आदिम लम्बाई चार, शून्य, पाठ, पांच, पाच और दो. इस अंक-कमसे जो संख्या उत्पन्न हो उससे भौंसठ भाग अधिक अति २५५८०४१ योजन प्रमाण है ।२७२८।।
२६०३८६५ - ४५८४=२५५८०४ योजन ।