Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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तिलीयपम्पसी
[ पाषा: २०७६-२०७१ प:--प्रपम फूटकी ऊंचाई एकसौ पच्चीस (१२५) योजन प्रमाण है। शेष कटौंकी ॐाई जानने के लिए उत्तरोत्तर उत्पन्न प्रमाण से आठसे भाजित पम्पोस (३१) योजन कम करते जाना पाहिए ।।२०७५॥
यवा-प्र० कूटको १२५ शे०, दि० १२१६ यो.. १. ११८ यो. च. १९५६ यो०, पं. १६२ यो०. प. १०१ यो, स. १०६३ यो०, अ० १३. यो और नवम फूर को १० योजन
विरपुपह-शाम-गिरिपो, आयामे गव-हिबम्मि जं सद।
गणमंतरालं, सं पिय जाएदि पस ।।२०७६॥
वर्ष :-विच प्रम नामक पर्वतको लम्बाईमें नो (१) का भाग देनेपर जो सब बाये उतना प्रत्येक कूटके मन्दायाँ लाए हवाम ४२१७६१.दि ११११५. Wities
तिमि सहस्सा हि-सया, पन्ना सोयना कला वि । एकत्तरि' - अहिषसए, अपहित - एक्कोतर • सवाई ॥२०७४।।
पर्व:-यह अन्तराल-प्रमाण तीन हजार तीन सौ झुप्पन योजन और एकसौ इकहत्तरमे भाजित एकसी एक कला ( ३३५६१ यो० ) प्रमाण है ।।२०७७॥
निम - भवन - पनवोनं, सोमणसे पचव एवस्ति ।
णवरि पिसेसो एसो, बेबी प्रल • नामानि ।।२०।।
धर्म:-इस पर्वतपर जिन-भवनाविक सौमनस-पर्वतके हो सहन है । विशेष केवल पह है कि यहाँ देवियोंके नाम अन्य है ।।२०।।
सोत्तिक - कूडे बरि, सरवेषो बाल सि गामेणं ।
कूडम्मि सफा - गामे, देवी पर • रिसेग चि ॥२०७६।।
अर्थ :-स्वस्तिक कूटपर बला नामक व्यन्तरदेवो एवं सपनकूटपर शारिषणा नाएक उतम देवी रहती है ।।२०७६॥
-- - -. .- - - - - १... 4. एकत्सर ।