Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
View full book text
________________
गाषा : २२५८-२२६० ] बउत्यो महाहियारो
[ ६०५ प्रर्ष:-विदेहके विस्तारमेंसे सीतानदीका विस्तार घटा देनेपर गेषके अभाग प्रमाण क्षेत्र, वक्षार पर्वत पौर विमंगा नदियोंकी सम्बाईका प्रमाण होता है। इन क्षेत्रादिकमेंसे प्रत्येफको लम्बाई सोलह हजार पाचसो वान योजन और एक योजनके उनीस भागों में से दो भाग अधिक है ।।२२५६-२२५७।।
विशेषार्थ :-पूर्वापर विदेहक्षेत्रोंका पृथक्-पृथक विस्तार (दक्षिणोतर गोगाई) ३३६८४ायोजन है। इन क्षेत्रों में सीता-सीतोदा नामकी दो प्रमुख नदियाँ बहती हैं। बहके समीप निर्गमस्थान पर इनको चौड़ाई ५० योजन और समुद्र प्रवेशकी चौड़ाई ५०० योजन है। विदेह विस्तारमेंसे नदी विस्तार घटाकर शेषको आधा करनेपर = २२५६ १०० = १६५६२ योजन प्राप्त होते हैं, जो विदेह स्थित वार, १३ दया भाराव्य मादि वनोंको लम्बाई है। अर्थात् इन क्षेत्रादिकमेंसे प्रत्येकको लम्बाईवा प्रमाण १६५६२४ योजन है।
विभंग नदीको परिवार नदियो
अट्ठावोस - साहस्सा, एकेकाए विभंग - सिधूए । परिवार - वाहिनीबो, विचित्त - स्वामओ रेहति ।।२२५८।।
२८०००। वर्ष:-एक-एफ विभंगनीको विचित्ररूपबाली भट्ठाईस हजार ( २८०..) परिसर नदियां शोभायमान हैं ।।२२५८५१
कन्या देशका निरूपणसोवाय उत्तर - तो, पुषसे महसाल - देवोवो । गोलाचल - विखणदो, पब्लिमदो चित • कूडम्स ।।२२५६।। चेवि कच्छ-शामो, 'विजयो वण-गाम-एयरहि । कम्मर - म - पट्टण - कोणामुह - पहु सिहि हो ॥२२६०।।
१६... ब. य. न. विजपा। २. द. २. क. ज. प. उ. जुदा ।