Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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गाथा : २३२६-२३३१ } चउत्यो महाहियारो
[ ६२१ मर्थ :-पूर्व विदेहके सदृश हो अपर-विदेहमें भी ऐसा ही क्रम जानना चाहिए। एक विशेषता यह है कि यहाँ भी नगरियों के नाम भिन्न है ।।२३२५।।
अस्सपुरी सिंहपुरी, महापुरी सह य होदि विजयपुरी ।
परजा 'विरजासोकाउ, योवसोत त्ति पाउम - पहुदी ।।२३२६॥
पर्ष :-अश्वपुरी, सिंहपुरी, महापुरी, विजयपुरी, अरजा, विरजा, अशोका और वीतत्तोका, इसप्रकार ये पप्रादिक देशोंकी प्रधान नगरियों के नाम हैं ॥२३२६।।
विजया ५ वाजयंता, पुरी जयंतावराजिताओ कि । चक्कपुरी सागपुरी, अउम्झणामा 'अवम्झ चि ॥२३२७।। कमसो पापायीगं, विजयाणं अउ - पुरोग णामागि।
एक्कत्तीस - पुरीनं, खेमा - सरिसा पसंसाओ ॥२३२८॥
प्रथ:-विजया, वैजयन्ता, जयन्ता, अपराजिता, पऋपुरी, खड़गपुरी, अयोध्या और अवध्या, इसप्रकार येक्रमवाः वनादिकाप्री । देशीको आठ नगरियोके नाम है। उक्त इकतीस नगरियोंकी प्रशंसा ओमापुरीके सदृश हो जाननी चाहिए ।।२३२७-२३२८।।
इगिगि'-विजय-मझात्य दोहा-विजय - गवस कूडेस। वरिखण - पव्वं विदियो, णिय-णिय-विजयक्तमुवाहा ॥२३२६।। उरार-पृथ्वं तुचरिम • कूडो तं घेय परइ सेसा य ।
सग - कूल गार्मोह, हवंति कच्चम्मि भणियहि ।।२३३०।।
प:-प्रत्येक देशके मध्य में स्थित लम्बे विजया पर्वतके ऊपर जो नो नो कूट हैं, उनमें से दक्षिण-पूर्वका द्वितीय कूट अपने-अपने देशके नामको और उत्तर-पूर्वका द्विपरम कुट भी उसी देशके नामको धारण करता है। शेष सात कूट कच्छादेशमें कहे गये नामोंसे युक्त हैं ॥२३२६-२३३०।।
रत्ता - रत्तोदाओ, सीवा • सोदोक्याण यक्षिणए । भार्ग तह उत्तरए, गंगा - सिंधू ३ के वि भासंति ।।२३३१॥
पाठान्तरम् ।
१... 5 . प. उ. विरजासोकोट । २.८.ब.क.ज.प. . प.म। ........ पक्षि। ४. इ. स. इगिविजयमम्झरय दोहा ।