Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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REET पाषा : २१३५-२१३६J उरषो महाहियारो
[ ५७७ उच्छेन - वास - पहदि, पग-बिगनाह'- मंरिराहितो।।
मुहमंडवाहिला - पायोओ घर • गुगो तस्स ॥२१॥
अर्थ :-उस जिनेन्टप्रासादको ऊंचाई एवं विस्तार मादि तथा मुखमण्डप एवं अधिष्ठान आदिक पाठकवनके जिनेन्द्रग्दिरों से चौगुणे विस्तारवास है ।।२१३५।।
मंबर • पच्छिमभागे, सोदोद - वोए उत्तरे तोरे ।
धेवि जिणिव' - भवर्ग, पुर्व पिव वणणेहि जुर्व ।।२१३६।।
पर्ष :-मन्दर-पर्वतके पश्चिम-भागमें सीतोदा नदोके उत्तर किनारेपर पूर्व कथित वनौसे युक्त जिनेन्द्र भवन स्थित है ।।२१३।।
भैलोबा वर्णनसोदोर-बाहिणीए, बक्सिण • तोमि भइसास • वणे ।
बेतु वि कुमुव • सेलं, उत्तर • तोरे पलासगिरी ॥२१३७।।
मर्ष :-मपालचनमें सोतोदा नदीके दक्षिण किनारे पर कुमुद-शैल मोर उत्तर किमारेपर पनाश-पिरि स्थित है ।।२१३७।।
एवाओ वणगानो, सयलाओ बिगाईच - सरिसायो ।
गरि विसेसो तेसु, बरुणसुरो उचरिंगस ॥२१३८॥
मर्ष :-ये सम्पूर्ण वर्णनाएं दिग्गजेन्द्र पर्वतोंके सहा है। विशेष केवल यह है कि यहाँ उत्तरेन्द्र के वरुण नामक लोकपालका निवास है ॥२१३८।।
भद्रशालको बेदी एवं उसका प्रमाणतसो पछिम - भागे, गयमया मसाल-पाण-यो ।
पोस - णिसाहायलाएं, उबवण बेदीए संलगगा ।।२१३९॥
म :-इसके मागे पश्चिम भागमें नीस एवं निषध पर्वतको उपवन देवीसे संतान स्वर्ण मय मदतानवन-वेदी है ॥२१३।।
... क. ज. स. ४. न. बिएणाम। ३... आ. हमनमदिवा महदि । १. मुहमखएमरिवार पहदि । म. महमग्यमहिमाप्त पति। 1... विसांव। ४.ब. बीपी।