Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
View full book text
________________
गाषा : २०६१-२.६४] जत्यो महाहियारो
मर्ण:-अथवा या राखिसे गुणित क्षय-विको भूमिसे कम करने और मुबमें मिला देने पर कूटोंकी ऊंचाई प्राप्त हो आती है। इनमेंसे प्रथम कूटकी केवाई पाचके घन ( १२५ योजन) प्रमाण है ।।२०६०॥
विविपस्स बीस • अतं, सममेक' अम्विहत-पंच-कला । सोलस-साहिरं च सयं, गोणि कला तिय-हिदा तइजस्स ।।२०६॥
।१२।।।।१९।। म:-द्वितीय फुट की ऊंचाई एकमो वास योजन और छहसे विभक्त पाच कला ( १२० योजन ) प्रमाण तथा तृतीय कूटकी ऊंचाई एको मोलह पोजन और तोनसे भाजित दो कला (११९३ यो• ) प्रमाण है ।।
R EN :-- AAYE मारस-अम्भहिय-सर्प, गोयनमद' च तुरिम - रस्स । जोयग-ति-भाग-जुत्त, पंचम - पूजस अट्ट - महिब-स ।।२०६२।।
।१२।। ।१०।। पर्य :- चतुर्थ कूटकी ऊंचाई एकसौ साढ़े बारह (१९२९) योजन और पांचवें कूट की केवाई एकसौ पाठ ( १०८९ ) पोजन तथा एक योजनके तीसरे मागमे अधिक है ।।२०६२।।
पउ-वृत्त-बोयण-सवं, छबित्ता इगि-कला व छुस्स । एक्क - सय - भोयणाई, सत्तम - बस्स हो ।।२०६३॥
। १०४।।१० म :-के कुटकी ऊँचाई एकसो गार योजन और छहसे भाजित एक कला (१०४ यो ) प्रमाण तथा सावर्वे कूटकी ऊंचाई एकसो (१०० ) योजन प्रमाण है ॥२.१३॥
सोमनात-बाम-गिरिलो, आयाने सग-हिबम्मि जला।
कुणमंतराखं, तं पिप बाएवि पत्तेवक ।।२०६४॥
मर्य:-सौमनस नामक पर्वतकी लम्बाई में सातका भाग देनेपर जो लम्ब आये उतमा प्रत्येक कूटके मन्स रासका प्रमाण होता है ।२०६४।।
१. स. अयमेत।