Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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गापा : १६१६- १९२०
चउत्पी महाहियारो कोसको अवगालो', गाणा-पर-रयाण-विपर-निम्मवियो।
अम्बत - षय - गमो, किं पहला सो डिमानो ॥१६१६॥
म :-जिनेन्द्र भवनके अयभागमें मोलह कोस ऊंगा, सो कोम लगा और पपास कोमप्रमाए विस्तार मुक्त रमणीय मुखमण्डप है, जो आधा कोस भवगाहसे युक्त, नाना प्रकारके उसम रहन-समूहोंसे निर्मित और फहराती हुई ध्वजा-पताकामों सहित है । बहुत वर्णनसे मया, वह मण्डप निरुपम है ॥१६१५-१९१६॥
अवलोकनादिमंडप एवं सभापुरादिका प्रमाण
मुह-मंडवस पुरखो, अवलोषण - मम्मो परम-रामो। Weir .. साहित्याः सजा को डरलो समय • सवं वोह' ।।१९१७॥
पर्म :-मुख-मण्डपके पागे सोलह कोलसे पधिक ऊँचा, सो कोस विस्तृत पोर सो कोरा लम्बा परम रमणीय अबसोकन-मश्य है ।।१९१७॥
निय - गोग्गुबह - जुगो, तापुरको बेटुवे अहिट्ठाणों ।। कोसासीयो पासो, तेत्तिय - मेत्तम हित १६८||
। । ए:-उसके आगे अपने योग्य ऊँचाईमें युक्त अधिष्ठान स्थित है। इसका विस्तार अस्सी कोस है और लम्बाई भी इतनो (८० कोस ) ही है ।।१९१८||
तस्स बह - मम्झ-देसे, सभापुरं दिव्य-रयण-बर-रा। महिया सोलस उसमो, कोसा उताष्ट्रि वोह - पासानि ॥१९१६॥
।१६। ६४ | ३४ ॥ प:-उसके बामध्यभागमें उत्तम दिव्य रलोंसे रखा गया मभापुर है, जिसकी ऊंचाई सोलह कोससे अधिक पौर नम्बाई एवं विस्तार चौसठ कोस प्रमाण है ।।१३१६
पीठका वर्णनसौहासण महासमवेत्तासग-पहदि - विदिह • पीकानि । पर - रमण - णिम्मिवानि, सभापुरे परम - रम्मानि॥१९२०॥
....... प. य. उ. 5. बगाढो। २. ज. प. गिह । ३. स. स. क. प. म. उ. 8. *सा। मोहि । ५. . . क. ज. प. ३. उ. पविट्ठागो।
४.क.