Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
View full book text
________________
३५२ ]
तिलोयपणतो [गाया : १३०३-१३०५ प:-तिरछी पंक्तिक रूपमें चौतीस कोठे धौर ऊर्वरूपसे दो कोटे बनाकर इनमें से अमरके प्रथम पनाह कोठोंमें निरन्तर तीर्थकर इसके आगे दो कोठोंमें सून्य, तीन कोठोंमें तीर्थकर, पोमें अन्य, एक तीर्षकर, दोमें शुम्म, एकमें तीर्षकर, दोमें पून्य, एकमें लीकर, एक शून्य, एक तीर्थकर, एक शुम्प प्रोर दो तीकर, शोक में किया कोठोंमेंसे दो में चक्रवर्ती, सेरहमें शून्य, छहमें पक्रवर्ती, फिर तीन शून्य, पक्रवर्ती, गुम्य, रश्वती, दो शून्य, रवी, शून्य, चक्रवर्ती और फिर दो शून्य, कमाः ये कह सामों के प्रतिपति पतियों के कोठे हैं। जिनमें संरभिके लिए क्रममाः एक और दो के बड महण किये गये है तपा प्रन्य अन्तरास का सूषक है ।।१२६-१३०२।।
( संदृष्टि मूलमें देखिए।
भरतादिक बक्रवतियों के शरीरको ऊंचाईपंचसया पन्जाहिम - उत्सया सु-हरिष-पनसीपी। दु-बिहित्ता परसीपी, बार्स पणतीस तीसं - ॥२०॥
इंड ५७० १ ४५० । ।। ४० 1 १५ । ३० । महाबीस बुगीस, बीसं पन्गरस सस य कमसो । बंग वपकहराम, भरह • प्ममुहारण उस्लेहो ।।१३०४॥
२८ । २२ । २० । १५ । ७ । प:--भरतादिक चक्रवतियों की ऊँचाई मन: पचिसो, पचास प्रधिक पारसी (५०), दोसे माजित पवासी [११), दोसे भाजित पोरासी (४२), चालीस, पंसीस, तीम, अट्ठाईस, बाईस, बोस, पन्द्रह पोर सात घनुष प्रमाण पी ।।१३०३-१३०४।।
पक्रातियोंकी वायु मादिका प्रमारा कहने की प्रतिमा--- आक कुमार-मंडलि-परिजय-राजाच 'संजम-टिसीए । बाकीज काल • मार्ग, बोज्छामि जहाणपुष्षोए ॥१३०५॥
१. ८. ... ... पजमषिोए ।