Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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यो महाहियारो
एक्केक्कानं दो-दो, कोसा वीहीन यंत्र - परिमानं ।
गाया : ७३३-७३५]
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च सदन मिय-सोवाणान दोहसणं पि ।
पाठान्तरम् ।
:- एक-एक वीथीके विस्तारका परिमाण दो-दो फोस है और और जिनेन्द्र तक यह क्रमश: होन होता गया है, ऐसा अन्य कितने ही आचार्य कहते हैं ।।७३३।।
च शब्दसे अपने-अपने सोपानों को दीघंता भी ( उसी प्रकार दो-दो कोस है और क्रमशः कम होती गई है, ऐसा जानना चाहिए ।
पंच-सया बावण्णा. कोसाचं वीहियाण वहतं । चवीस-हिया हमसो, तेवीसूजा यमि-प
२४
।।७३३ ।।
४६० १ ४३७ १ ४१४ | ३११ / ३६८ २४ २४ । २४
२४ ૪
|२|||||||| २४४|३|२९| २४|४|१|२७||
| | ४ |
२४ | २४ २४
१. ६. क्र. ज. व. दो, दो ।
।।७३४||
[ २०१
पम्भारसेहि महियं कोसाथ सयं च पासनाहम्मि । देवल्मि माणे मानवी प्रवृताल-हिदा ।।७३५।।
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२. ब. उ. केचि
अर्थ :- भगवान् ऋषभदेव के समवसरण में वोपियोंको लम्बाई चोवोस से माजिड पाँचसो बावन कोस प्रमाण पो और इसके भागे नेमिनाथ पर्यन्त क्रमशः भाज्यराणी (५५२ ) में से उत्तरोत्तर तेईस कम करके चौबीसका भाग देने पर जो लम्ब आवे उतनी वीथियोंकी दोघंता होती है ।।७३४ ।।
पाठान्तर