Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
View full book text
________________
चस्प महाहियारो
। सा ६ को स । धरण पुब्ध व १० ल ।
अर्थ :- अभिनन्दन स्वामीकी उत्पतिके पश्चात् दस लाख पूर्व सहित नौ लाख करोड़ सागरोपमा बीत जाने पर सुमति जिनेन्द्रको उत्पत्ति हुई ।। २६४ ।।
गाथा : ५६५ - १६८ ]
इस म्ब-ल-समय, सायर-कोडी-सहत्स-नबवीए । 'पवित् पचपहजम्मो सुमइस्स जम्मादो ॥१५६५॥
| सा ६०००० को । घर पुत्र व १० न ।
वर्ष - सुमतिनाथ तीर्थंकर के जन्मके पश्चात् दस लाख पूर्व सहित मब्बे हजार करोड़ सागरोपमोंके व्यतीत हो जानेपर पद्मश्रमका जन्म हुआ ।।५६५ ।।
दस पुग्न सक्-समय, सायर-कोबी-सहस्त-नवरुम्मि |
पोली
प्पलोये ।
सह-संदीप
| सा ९००० को । धरा पृथ्व १० ल ।
:- प्रभके जन्म के पश्चात् दस लाख पूर्व सहित नौ हजार करोड़ सागरोपमोंका श्रतिक्रमण हो जानेगर सुपार्श्वनाथका जन्म हुआ ॥। ४६६ ।।
बस-पुष्य-म-संख्य सायर-नव-कोबि-सय- विरामम्मि । पांसस्स ॥५६७॥
यह उपपत्ती,
उम्पतीबी
। सा २०० को पुष्व १० ल ।
1
[ १६१
:- सुपार्श्वनाथकी उत्पत्तिके पश्चात् दस लाख पूर्व सहित नौ सौ सागरोपमोंके गीत जाने पर चन्द्रप्रभ जिनेन्द्रकी उत्पत्ति हुई ||५६७।।
ड-लस-पुष्य समहिम- सायर-कोडीन उप-बिच्छेदे चंपत्तीयो',
उपसी
पुप्फवंतस्स
+
१. फ... उ. परिवंशे २.
।
।। ५६८ ।।
1. C. 5. 6. W. 4. H. Wang