Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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तिलोयपणती
[ गापा : ५५५-५८५ इंदवज्जा (उपजाति) एवं जिणाणं जगतरालप्पमाणमावकरं जमस्स । कम्मापसाई' विवादित, उग्घारए मोपलपुरी-कवा ॥५॥
1॥ उम्पत्तियंतरं समत्तं ।। प्र लोगों की प्रानन्दित करने वालातीयवक अन्तरीकालेका यह प्रमाण उन (भम्पों) की कर्मरूपी अर्गलाको नष्ट करके मोक्षपुरीके कपाटको उपारित करता है ||५८५॥
॥ उत्पत्तिके अन्तरालकालका कपन समाप्त हुवा ।।
ऋषभादि ठोयंकरोंका मायु प्रमाणउसहाबि-बससु आऊ, पुलसोबो तह 'बहत्तरी सष्टी। पणास-ताल-सीसा, कोसं इस चुनागि-सक्स-मुबाई ।।५८६॥
आदिक्षिणे पुच ६४ ल । अनिय पुष्प ७२ ल । संभव पुख्ख ६० ल । अहिणंदग्ण पुम्ब ५० ल । सुमः पुग्न ४० स । परमप्पह पुम्ब ३० ल । सुपासणाह पुव्य २० ल । च दप्पद्द पुष्य १० ल ।
पुष्फयंत पुञ्च २ ल । सीयल पुष १ स । म:-वृषभादिक दस तीकरोंकी पायु क्रमशः पौरासी साख पूर्व, बहत्तर लाख पूर्व, साट मात्र पूर्व, पास सास पूर्व, नासीस लाख पूर्व, सोमनाथ पूर्व, बीस लाख पूर्ण, दस साल पूर्व, दो माघ पूर्व और एक लाख पूर्व प्रमाण ची ॥५८६॥
ततो य परिस-लम, चुलसोदी तह महतरी सट्ठी । तीस-रस-एक्कमाऊ सेवंस-पबिछाकस्स ॥॥
१. , .. प. प. उ. कम्पनिलाई। २. .. विवादित उपोर मोस, 4. क.. उ. विवामिपूरण उपाय मोमबम्स। ... व. 4. बिदरी। ... बिहतरी, .... बत्तरी, 4. इतरी।