Book Title: Tattvartha Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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दपिकानयुक्तिश्च अ० १
सूक्ष्मजीवनिरूपणम् ३५ काष्ठादौ समुत्पन्नं पञ्चवर्णपनकाख्यसूक्ष्मम् बीजहरितं चेति, तत्र बीजसूक्ष्मम्-शाल्यादि तुषमुखं यस्मादंकुरः समुत्पद्यते, हरितसूक्ष्मम् नवीन मुत्पद्यमानं भूमिसवर्णम् तद्वत् कान्तिमत्तया दुर्लक्ष्यम् । अण्डसूक्ष्मम्-मक्षिकापिपीलिकागृहगोधिकाकृकलासाद्यण्डकमवगच्छेत् ॥सूत्र ११॥
नियुक्तिः-पूर्व सूक्ष्मबादरभेदेन जीवानां दैविध्यं प्रतिपादितं सम्प्रति तयोर्मध्ये सूक्ष्माणां भेदं प्रतिपादयितुमाह-अट्टविहा सुहुमा सिनेहकायाइया" इति अष्टविधाः अष्ट प्रकारकाः सूक्ष्मा जीवाः प्रज्ञप्तास्तीर्थकृदादिभिः, तद्यथा-स्नेहकायः. तथाचोक्तम् -
सिणेहं पुप्फसुहमं च पाणुत्तिगं तहेव य ।।
पणगं बीयहरियं च अण्डसुहुमं च अट्ठमं ॥ छाया-स्नेहं पुष्पसूक्ष्मञ्च प्राण्युत्तिङ्गं तथैव च ।
पनकं बीजहरितं च अण्डसूक्ष्मं च अष्टमम् ।। स्नेहम्-स्नेहसूक्ष्मम् अबश्यायहिम कुञ्झटिकादिरूपम्. अत्र स्नेहपदेन अप्कायविशेषः सूक्ष्मः स्नेहकायोऽपि गृह्यते पुष्पसूक्ष्मम्-उदुम्बरादि पुष्पसदृशम् सूक्ष्मम् प्राणिसूक्ष्मम् यः प्राणी संचरमाण एव सर्वदा लक्ष्यते न तु स्थितो लक्ष्यते स चासौ सूक्ष्मः प्राणिसूक्ष्मः कुन्वादिकः उत्तिकसूक्ष्मम्--सूक्ष्मकीटिका दीनाम् वृन्दम् कीटिका नगरादि कीटिकादयः सूक्ष्माः प्राणिनो धनी देते । वर्षा काल में भूमि और काष्ठ आदि के ऊपर जो पाँच वर्णो की काई (नील फूल) उत्पन्न हो जाती है, वह पनक सूक्ष्म कहलाती है । शालि आदि के तुष का मुख, जिससे अंकुर उत्पन्न होता है, बीज सूक्ष्म कहलाता है । नवीन उत्पन्न होने वाला और भूमि के समान रूप-रंग का होने के कारण जो सरलता से दिखाई नहीं देता वह हरित काय हरितसूक्ष्म कहलाता है। मक्खी, कीड़ी, छिपकली, गिरगिट आदि के छोटे-छोटे अण्डे अण्डसूक्ष्म कहलाते हैं ॥११॥
तत्त्वार्थ नियुक्ति—पहले कहा जा चुका है कि सूक्ष्म और बादर के भेद से जीव दो प्रकार के हैं । अब उनमें से सूक्ष्म जीवों के भेदों का प्रतिपादन करने लिए कहते हैं-'स्नेहकाय आदि आठ प्रकार के सूक्ष्म है।'
तीर्थकर आदिने आठ प्रकार के सूक्ष्म अर्थात् छोटे-छोटे जीव कहे हैं—(१) स्नेहसूक्ष्म (२) पुष्प सूक्ष्म (३) प्राणिसूक्ष्म (४) उत्तिंगसूक्ष्म (५) पनक सूक्ष्म (६) बीजसूक्ष्म (७) हरित सूक्ष्म और (८) अण्डसूक्ष्म ।
___ कहा भी है-' आठ सूक्ष्म, हैं-स्नेहसूक्ष्म, पुष्पसूक्ष्म, प्राणिसूक्ष्म, उत्तिंगसूक्ष्म, पनकसूक्ष्म, बीजसूक्ष्म, हरितसूक्ष्म और आँठवा अण्डमूक्ष्म ।
यहाँ 'स्नेह' पद से अप्काय विशेष ग्रहण किया जाता है । ओस, हिम, कुञ्झटिका आदि स्नेह सूक्ष्म कहलाता है । गूलर के फूल के समान जो अत्यन्त सूक्ष्म पुष्प हैं, उन्हें पुष्प सूक्ष्म कहते हैं । जो प्राणी इतने छोटे हैं कि चलते-फिरते समय ही दीख पड़ते हैं, स्थिर होने
શ્રી તત્વાર્થ સૂત્ર: ૧