________________
२८)
छक्खंडागमे वग्गणा-खंड पुविल्लभंगेसु पक्खित्तेसु बत्तीसभंगा होति । ३२ । आउअं आउएण फुसिज्जदि । १। आउअंणाणावरणीएण फुसिज्जदि ।२। आउअं दसणावरणीएण फुसिज्जदि।३।आउअं वेयणीएण फुसिज्जदि।४। आउअंमोहणीएण फुसिज्जदि ।५। आउअंणामेण फुसिज्जदि ।६। आउअं गोदेण फुसिज्जदि।७। आउअं अंतराइएण फुसिज्जदि ।८। एवमाउअस्स अट्ट भंगा। एदेसु पुग्विल्लभंगेहि सह मेलाविदेसु चत्तालीस भंगा होति । ४०। णामं णामेण फुसिज्जदि। १। ण म णाणावरणीएण फुसिज्जदि । २ । णामं सणावरणीएण फुसिज्जदि।३। णामं वेयणीएण फुसिज्जदि।४। णाम मोहणीएण फुसिज्जदि।५। णामं आउएण फुसिज्जदि ।६। णामं गोदेण फुसिज्जदि ।७। णामं अंतराइएण फुसिज्जदि ।८। एवं णामस्स अट्ट भंगा। एदेसु पुग्विल्लभंगेसु घेत्तूण पविखत्तेसु अडदाल भंगा होति।४८॥ गोदं गोदेण फुसिज्जदि ।१॥ गोदं णाणावरणीएण फुसिज्जदि ।२। गोदं दंसणावरणीएण फुसिज्जदि ।३। गोदं वेयणीएण फुसिज्जदि ।४। गोदं मोहणीएण फुसिज्जदि ।५। गोदं आउएण फुसिज्जदि ।६। गोदं णामेण फुसिज्जदि ।७। गोदं अंतराइएण फुसिज्जदि ।८ एवं गोदस्स अट्ठ भंगा होति। एदे घेत्तूण पुव्विल्लभंगेसु पक्खित्तेसु छप्पण्ण भंगा होति ॥५६॥ अंतराइयं अंतराइएण फुसिज्जदि ।१॥ अंतराइयं णाणावरणीएण फुसिज्जदि ।२।
.................
आयु आयु द्वारा स्पर्श किया जाता है। १ । आयु ज्ञानावरणीयद्वारा स्पर्श किया जाता है । २ । आयु दर्शनावरणीय द्वारा स्पर्श किया जाता है । ३। आयु वेदनीय द्वारा स्पर्श किया जाता है । ४। आयु मोहनीय द्वारा स्पर्श किया जाता है । ५ । आयु नाम द्वारा स्पर्श किया जाता है । ६ । आयु गोत्र द्वारा स्पर्श किया जाता है ।७। आयु अन्त राय द्वारा स्पर्श किया जाता है । ८। इस प्रकार आय कर्म के आठ भंग होते हैं। इन्हें पूर्वोक्त ३२ भंगोंमें मिलानेपर ४० भंग होते हैं।
नाम नाम द्वारा स्पर्श किया जाता है ।१। नाम ज्ञानावरणीय द्वारा स्पर्श किया जाता है ।२। नाम दर्शनावरणीय द्वारा स्पर्श किया जाता है ।३। नाम वेदनीय द्वारा स्पर्श किया जाता है ।४। नाम मोहनीय द्वारा स्पर्श किया जाता है । ५। नाम आयु द्वारा स्पर्श किया जाता है 1६। नाम गोत्र द्वारा स्पर्श किया जाता है ।७। नाम अन्त राय द्वारा स्पर्श किया जाता है। इस प्रकार नाम कर्मके आठ भंग होते हैं। इन्हें पूर्वोक्त ४० भंगोंमें मिलानेपर ४८ भंग होते हैं।
गोत्र गोत्र द्वारा स्पर्श किया जाता है।१। गोत्र ज्ञानावरणीय द्वारा स्पर्श किया जाता है । २ । गोत्र दर्शनावरणीय द्वारा स्पर्श किया जाता है । ३ । गोत्र वेदनीय द्वारा स्पर्श किया जाता है । ४ । गोत्र मोहनीय द्वारा स्पर्श किया जाता है। ५ । गोत्र आयु द्वारा स्पर्श किया जाता है। ६। गोत्र नाम द्वारा स्पर्श किया जाता है । ७ । गोत्र अन्तराय द्वारा स्पर्श किया जाता है 1८। इस प्रकार गोत्र कर्मके आठ भंग होते हैं। इन्हें पूर्वोक्त ४८ भंगोंमें मिलानेपर ५६ भंग होते हैं।
अन्तराय अन्तरायके द्वारा स्यर्श किया जाता है । १ । अन्तराय ज्ञानावरणीय द्वारा स्पर्श
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org