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छक्खंडागमे वग्गणा - खंड
( ५, ४, ३१.
पुरिस- बुंसयवेदो जादो । एवं पंचहि अंतोमुहुत्तेहि ऊणिया सर्गाद्वदी किरियाकम्मस्म उक्करसंतरं होदि ।
पुरिसवेदाणं पओअकम्म-समोदाणकम्माणं णाणेगजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं । आधाकम्मस्स अंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं । एगजीवं पडुच्च जहणंण एगसमओ । उक्कस्सेण तिसमऊणं सागरोवमसदपुधत्तं । तवोकम्मस्स अंतरं केवचिरं कालादो होवि ? णाणाजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं। एगजीवं पडुच्च जहणेण अंतोमुहुत्तं । उक्कस्सेण सागरोवमसदपुधत्तं । तं जहा- एक्को इत्थि - वंसयवेदो अट्ठावीस संतकम्मिओ पुरिसवेदेण मणस्सेसु उववण्णो । गन्भादिअट्ठवस्साणमुवरि वेदगसम्मत्तं संजमं च समयं पडिवण्णो । तवोकम्मस्स आदी दिट्ठा। सव्वलहुं तवोकम्मेण अच्छिदूण मिच्छतं गदो अन्तरिदो । तदो सागरोवमसदधत्तेण सव्वजहणमंतोमुहुत्तावसेसे उवसमसम्मत्तं संजमं च पडवण्णो । तवोकम्मस्स लद्धमंतरं पुणो सासणं गंतूण मदो इत्थिवेदो णवुंसयवेदो वा जादो । एवं गभादिअट्ठवस्सेहि अंतोमृहुत्तन्भहिएहि ऊणिया सगट्टिदी तवोकम्मस्स उक्कस्संतरं होदि । किरियाकम्मस्संतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीगं पडुच्च णत्थि अंतरं । एगजीगं पडुच्च जहण्णेण अंतोमुहुत्तं । उक्कस्सेण सागरोवससवपुधत्तं देसूणं । तं जहाएक्को अट्ठावीससंतकम्मिओ इत्थिवेदो णवुंसयवेदो वा कालं काढूण देवेषु पुरिस - वेदी या नपुंसकवेदी हो गया । इस प्रकार पांच अन्तर्मुहूर्त कम अपनी स्थिति क्रियाकर्मका उकृष्ट अन्तरकाल होता है ।
पुरुषवेदवाले जीवों के प्रयोगकर्म और समवधानकर्मका नाना जीवों और एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । अधःकर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल तीन समय कम सौ सागरपृथक्त्व है । तपःकर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट अन्तरकाल सौ सागरपृथक्त्व है । यथा - अट्ठाईस प्रकृतियोंकी सत्तावाला एक स्त्रीवेदी या नपुंसक वेदी जीव पुरुषवेदके साथ मनुष्यों में उत्पन्न हुआ। वहां गर्भसे लेकर आठ वर्षका होनेपर वेदकसम्यक्त्व और संयमकी एक साथ प्राप्त हुआ । इसके तपः कर्मकी आदि दिखाई दी । अनन्तर सबसे थोडे काल तक तपःकर्मके साथ रहकर मिथ्यात्वको प्राप्त हुआ । तपःकर्मका अन्तर किया । तदनन्तर सौ सागरपृथक्त्व में सबसे जघन्य अन्तर्मुहूर्त काल शेष रहनेपर उपशमसम्यक्त्व और संयमको ( एक साथ ) प्राप्त हुआ तपःकर्मका अन्तर प्राप्त हो गया । अनन्तर सासादन गुणस्थानको प्राप्त होकर मरा और स्त्रीवेद या नपुंसकवेदी हो गया । इस प्रकार गर्भसे लेकर अन्तर्मुहूर्त अधिक आठ वर्ष कालसे न्यून अपनी स्थिति तपःकर्मका उत्कृष्ट अन्तर होता है । क्रियाकर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं हैं । एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट अन्तरकाल कुछ कम सौ सागरपृथक्त्व है । यथा - अट्ठाईस प्रकृतियोंकी सत्तावाला स्त्रीवेदी या नपुंसकवेदी एक जीव मरकर
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