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३०६ )
छक्खंडागमे वग्गणा-खंड
( ५, ५,५९.
आवलियपुधत्तं घणहत्थो तह गाउअं मुहुत्तंतो । जोयण भिण्णमुहुत्तं दिवसंतो पण्णवीसं तु । ५ । जस्स ओहिणाणिस्स ओहिणिबद्धक्खेत्तं घणपदरागारेण दृइदं संतं घणहत्थो होदि सो कालदो आवलियपुधत्तं सत्तट्ठावलियाओ जाणदि । जस्स ओहिणाणस्स ओहिणिबद्धवखेत्तं घणागारेण टुइदं संतं घणगाउअं होदि सो कालदो मुहुत्तंतो अंतोमुहुत्तं जाणदि जस्स ओहिणाणिस्स ओहिणिबद्धवखेत्तं घणागारेण ट्ठइदं संतं घणजोयणं होदि सो कालदो भिण्णमुहुत्तं समऊणमुहुत्तं जाणदि । किमट्ठे घणागारेण टुइट्टण ओहिणिबद्धक्खेत्तस्स णिद्देसो कीरदे ? ण, अण्णहा अद्ध*पमाणेहितो पुधभूदस्स कहणोवायाभावादो । जोयणसूई जोयणपदरं वा किण्ण घेप्पदे ? ण, जहण्णक्खेत्तदो एदस्स असंखेज्जगुणहीणत्तपसंगादो । ण च एवं । कुदो ? कालस्स भिण्णमुहुत्तुव देसण्णहाणुववत्तदो । जस्स ओहिणाणिस्स ओहिणिबद्धक्वेतं घणागारेण दृइदं संतं पंचवीसजोयणघणाणि होदि सो कालदो दिवसंतो देसूणदिवसं जाणदि ।
जहां काल आवलिपृथक्त्वप्रमाण है वहां क्षेत्र घनहाथप्रमाण है। जहां क्षेत्र घनकोसप्रमाण है वहां काल अन्तर्मुहूर्त है। जहां क्षेत्र घनयोजनप्रमाण है वहां काल भिन्नहूर्त है। जहां काल कुछ कम एक दिवसप्रमाण है वहां क्षेत्र पच्चीस घनयोजन है |५| जिस अवधिज्ञानीका अवधिसे संबंध रखनेवाला क्षेत्र घनप्रतराकर रूपसे स्थापित करनेपर घनाथ प्रमाण होता है वह कालकी अपेक्षा आवलिपृथक्त्व अर्थात् सात-आठ आवलियोंकी बात जानता है । जिस अवधिज्ञानीका अवधि निबद्ध क्षेत्र घनप्रताराकारूपसे स्थापित करनेपर घनकोस प्रमाण होता है वह कालकी अपेक्षा 'मुहुत्ततो' अर्थात् अन्तर्मुहूर्त की बात जानता है । जिस अवधिज्ञानीका अवधिनिबद्ध क्षेत्र घनाकाररूपसे स्थापित करनेपर घनयोजन प्रमाण होता है। वह कालकी अपेक्षा भिन्नमुहुर्त अर्थात् एक समय कम मूहूर्तकी बात जानता है ।
शंका - अवधिनिबद्ध क्षेत्रका घनाकाररूपसे स्थापित करके किसलिए निर्देश करते हैं ? समाधान - नहीं, क्योंकि, अन्यथा कालप्रमाणोंसे पृथग्भूत क्षेत्रके कथन करनेका अन्व कोई उपाय नही है । इसलिए अवधिनिरुद्ध क्षेत्रको घनाकाररूपसे स्थापित कर उसका निर्देश करते हैं ।
शंका - यहांपर सूचीयोजन व प्रतरयोजन क्षेत्रका ग्रहण क्यों नहीं किया है ?
समाधान - नहीं, क्योंकि ऐसा होनेपर जघन्य क्षेत्रकी अपेक्षा यह असंख्यातगुणा हीन प्राप्त होता है । परन्तु ऐसा है नहीं, क्योंकि, कालका भिन्नमुहूर्तप्रमाण उपदेश अन्यथा बन नहीं सकता | जिस अवधिज्ञानीका अवधिनिबद्ध क्षेत्र घनाकाररूपसे स्थापित करनेपर पच्चीस घनयोजन होता है वह कालकी अपेक्षा 'दिवसंतो ' अर्थात् कुछ कम एक दिवसकी बात जानता है ।
Xx ताप्रती ' ( पुण) घणहत्थो' इति पाठः । षट्खं. पु. ९, पृ. २५.
प्रतिषु 'अट्ठ ' इति पाठ:
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