Book Title: Shatkhandagama Pustak 13
Author(s): Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 455
________________ २६ ) परिशिष्ट ७७ ७२ २४७ ३३५ ३१४ ० विशेष ३६९ विष २३४ ५, ३४ ९.१० ४१ २१६ शब्द पृष्ठ शब्द पृष्ठ शब्द पृष्ठ लोकपूरण वितर्क वैक्रियिकशरीरबंधननाम ३६७ लोकमात्र ३२२, ३२७ विद्रावण ४६ वैक्रियिकशरीरबन्धस्पर्श ३० लोकोत्तरीयवाद २८०. २८८ विनय वैक्रियिकशरीरसंघातलोभसंज्वलन ३६० विपक्षसत्त्व नाम लोहाग्नि विपाकविचय वैयावृत्य लौकिकवाद २८०, २८८ | विपुलमतिमनःपर्यय वैरोचन ११५ ज्ञानावरणीय ३३८, ३४० व्यञ्जन विभङ्गज्ञान २९१ व्यञ्जनावग्रह २२० वङ्ग विविक्त व्यञ्जनावग्रहावरणीय २२१ वचःप्रयोग ४४ विविक्तशय्यासन व्यन्तरकूमारवर्ग वज्र ११५ विविधभाजनविशेष व्यभिचार वज्रनाराचशरीरसंहनन ३६९ विवेक व्यवसाय २४३ वज्रर्षभनाराचशरीर. व्यवहार ४, ३९, १९९ मंहनन ३६९ व्यवहारपल्य ३०० वराटक विषय व्युत्सग वर्णनाम ३६३,३६४, ३७० विषयिन् वर्तमान विस्रसोपचय ३७१ वर्धमान २९२, २९३ विहायोगतिनाम ३६३, ३६५ शक ३१६ वर्वर वीचार शब्दनय ६, ७, ४०, २०० वर्ष ३०७ शब्दलिङ्गज २४५ वीर्यान्तराय वर्षपृथक व शरीरआङ्गोपाङ्ग ३६३ वृत्ति वस्तु ३६४ वृत्तिपरिसंख्यान वस्तुआवरणीय २६० | शरीरनाम ३६३, ३६७ वृद्धि ३०९ वस्तुश्रुतज्ञान शरीरबंधननाम ३६३, ३६४ वेद वस्तुसमासश्रुतज्ञान २८०, २८६ शरीरसंघातनाम ३६३, ३६४ वस्तुसमासावरणीय २६० वेदना ३६,२०३,२१२,२६८, | शरीरसस्थाननाम " " वागरा २९०,२९३,३१० | शरीरसंहनननाम ,, वाचना २०३ ३२५,३२७ शीतनाम ३७० वाचनोपगत वेदनीय २६, २०८, ३५६ | शीतस्पर्श | वेदनीयकर्मप्रकृति वानव्यन्तर २०६ शुक्र ३१६ वामनशरीरसंस्थाननाम ३६८ वेदित-अवेदित शुक्ल विज्ञप्ति २४३ | वैक्रियिकशरीरआंगोपांग ३६९ शुक्लत्व ७७ वितत २२१ वैक्रियिकशरीरनाम ३६७ | शुक्लध्यान ७५, ७७ ३३६ m २२२ ७७ २६० ० ० २०३ ३१४ २४ .. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.

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