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५, ४, ३१.) कम्माणुओगद्दारे पओअकम्मादीणं अप्पाबहुअं ( १८९ अ म्मदव्वट्टदा ति भाणिदव्वं । किरियाकम्मं णस्थि )पंचिदियतिरिक्खतियम्मि सव्वत्थोवा किरियाकम्मदव्वदा । पओअकम्म-समोदाणकम्मदव्वटुवाओ दो वि सरिसाओ असंखेज्जगणाओ। को गणगारो ? पदरस्स असंखेज्जदिभागो । किरियाकम्मपदेसठ्ठदा असंखेज्जगुणा । को गुणगारो ? पदरस्स असंखेज्जविभागो । पओअकम्मपदेसठ्ठदा असंखेज्जगुणा । को गुणगारो ? पदरस्स असंखेज्जदिभागो। आधाकम्मवव्वट्ठदा अणंतगुणा । को गुणगारो ? अभवसिद्धि
समवदानकर्म इन दोनोंकी द्रव्यार्थता समान होकर असंख्यातगुणी है। गुणकार क्या है ? जगप्रतरका असंख्यातवां भाग गुणकार है । इससे क्रियाकर्मकी प्रदेशार्थता असंख्यातगुणी है ? गुणकार क्या है ? जगप्रतरका असख्यातवां भाग गुणकार है । इससे प्रयोगकर्मकी प्रदेशार्थता असंख्यातगुणी है । गुणकार क्या है ? जगप्रतरका असंख्यातवां माग गुणकार है । इससे अधःकर्मकी द्रव्यार्थता अनन्तगुणी है । गुणकार क्या है ?
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