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५, ५, २१.) पयडिअणुओगद्दारे कम्मदव्वपयडिपरूवणा (२११ परिच्छिनत्तीति* अवधिः। अवधिरेव ज्ञानमवधिज्ञानम् । अथवा अवधिमर्यादा, अव. धिना सह वर्तमानं ज्ञानमवधिज्ञानम् । इदमवधिज्ञानं मर्तस्यैव वस्तुनः परिच्छेदकम्, 'रूपिष्ववधेः ' इति वचनात् । अमूर्तत्वावतीतानागत-वर्तमानपुद्गलपर्यायाणां परिच्छेदकं न भवेदिति चेत् न मर्तपुदगलपर्यायाणामपि मर्तत्वाविरोधात् । अवध्यामिनिबोधिकज्ञानयोरेकतनम, ज्ञानत्वं प्रत्यविशेषादिति चेत्-न, प्रत्यक्षाप्रत्यक्षयोरनिन्द्रियजेन्द्रियजयोरेकत्वविरोधात् । ईहादिमति ज्ञानस्याप्यनिन्द्रियजत्वमुपलभ्यत इति चेत-न, द्रव्याथिकनये अवलम्ब्यमाने ईहाद्यभावस्तेषामनिन्द्रियजत्वाभावात् नंगमनये अवलम्ब्यमानेऽपि पारम्पर्येणेन्द्रियजत्वोपलम्भाच्च । प्रत्यक्षमाभिनिबोधिकरज्ञानम्, तत्र वैशद्योपलम्माववधिज्ञानवदिति चेत्- न, ईहादिषु मानसेषु च वैशद्याभावात् । न चेदं प्रत्यक्षलक्षणम्, पंचेन्द्रियविषयावग्रहस्यापि विशदस्या. वधिज्ञानस्येव प्रत्यक्षतापत्तः । अवग्रहे वस्त्वेकदेशो विशवश्चेत्-न, अवधिज्ञानेऽपि और अवधिरूप ही ज्ञान अवधिज्ञान है। अथवा अवधिका अर्थ मर्यादा है, अवधिके साथ विद्यमान ज्ञान अवधिज्ञान है । यह अवधिज्ञान मूर्त पदार्थको हीं जानता है, क्योंकि 'रूपिष्ववधेः' ऐसा सूत्रवचन है। ___ शंका - अतीत, अनागत और वर्तमान पुद्गलपर्यायें अमूर्त हैं, इसलिये यह उन्हें नहीं जान सकेगा?
समाधान - नहीं, क्योंकि मूर्त पुद्गलोंकी पर्यायोंको भी मूर्त मानने में कोई विरोध नहीं आता।
शंका - अवधिज्ञान और आभिनिबोधिक ज्ञान ये दोनों एक हैं, क्योंकि ज्ञानसामान्यकी अपेक्षा इन में कोई भेद नहीं है ?
समाधान- नहीं, क्योंकि अवधिज्ञान प्रत्यक्ष है और आभिनिबोधिक ज्ञान परोक्ष है तथा अवधिज्ञान इन्द्रियजन्य नहीं है और आभिनिबोधिक ज्ञान इन्द्रियजन्य हैं, इसलिए इन्हें एक मानने में विरोध आता है।
शंका - ईहादि मतिज्ञान भी अनिन्द्रियज उपलब्ध होते है ? ।
समाधान - नहीं, क्योंकि द्रव्याथिक नयका अवलम्बन लेनेपर ईहादिक स्वतन्त्र ज्ञान नहीं है, इसलिए वे अनिन्द्रियज नहीं ठहरते । तथा नैगमनयका अवलम्बन लेनेपर भी वे परम्परासे इन्द्रियजन्य ही उपलब्ध होते हैं।
शंका - आभिनिबोधिक ज्ञान प्रत्यक्ष है, क्योंकि उसमें अवधिज्ञानके समान विशदता उपलब्ध होती है ?
समाधान - नहीं, क्योंकि ईहादिकों में और मानसिक ज्ञानोंमें विशदताका अभाव है। दूसरे यह विशदता प्रत्यक्षका लक्षण नहीं है, क्योंकि ऐसा माननेपर पंचेन्द्रिय विषयक अवग्रह भी विशद होता है, इसलिये उसे भी अवधिज्ञानकी तरय प्रत्यक्षता प्राप्त हो जायगी। *ताप्रती ' परिछित्रत्तीति । इति पाठ:
1 त सू. १-२७. ४ ताप्रती — ईहामति-' इति पाठः1 ताप्रती '-मभिनिबोधिक-' इति पाठः ।
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