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५, ३, २८.)
फासाणुओगद्दारे बंधफासो बन्धातीति बन्धः। औदारिकशरीरमेव बन्धः औदारिकशरीरबन्धः। तस्स बंधस्स फासो ओरालियसरीरबंधफासो णाम। एवं सव्वसरीरबंधफासाणं पि वत्तव्वं । कम्मणोकम्म-फासा दव्वफासे अंतभावं गच्छमाणा पुध कादूण किमट्ठ परूविदा? कम्माणं कम्मेहि णोकम्माणं णोकम्मेहि णोकम्माणं कम्मेहि सह फासो अस्थि त्ति जाणावणठें पुध परूवणा कदा। कम्मफासो बंधफासे अंतभावं गच्छमाणो किमळं पुध परूविदो? णोकम्मबंधफासस्स कम्मबंधफासो कारणमिदि जाणावणठें पुध परूविदो। संपहि एत्थ बंधफासभंगे वत्तइस्सामो। तं जहा-ओरालियसरीरणोकम्मपदेसा तिरिक्ख-मणुस्सेसु ओरालियसरीरणोकम्मपदेसेहि फुसिज्जंति ।१। ओरालियणोकम्मपदेसा तिरिक्ख-मणुस्सेसु वेजस्वियणोकम्मपदेसेहि फुसिज्जति।२। ओरालियसरीरणोकम्मपदेसा पमत्तसंजदहाणे आहारसरोरणोकम्मपदेसे हि फुसिज्जंति।। ओरालियसरीरणोकम्मपदेसा तिरिक्ख-मणुस्सेसु तेजासरीरणोकम्मपदेसेहि फुसिज्जति ।४। ओरालियसरीरणोकम्मपदेसा तिरिक्ख-मणुस्सेसु कम्मइयसरीरपदेसेहि फुसिज्जति ।५। एवमोरालियसरीरस्स पंचभंगा।
संपहि वेउब्वियसरीरणोकम्मपदेसा देव-णेरइएसु वेउव्वियसरीरणोकम्मपदेसेहि
जो वांधता है वह बन्ध कहलाता है, औदारिकशरीर ही बन्ध औदारिकशरीरबन्ध है, उस बन्धका स्पर्श औदारिकशरीरबन्धस्पर्श है। इसी प्रकार सव शरीरबन्धस्पर्शीका भी कथन करना चाहिये।
शंका- कर्मस्पर्श और नोकर्मस्पर्श द्रव्यस्पर्शमें अन्तर्भावको प्राप्त होते हैं। फिर इनका अलगसे कथन क्यों किया है ?
समाधान- कर्मोंका कर्मों के साथ, नोकर्मोका नोकर्मों के साथ और नोकर्मों का कर्मों के साथ स्पर्श होता है, इस बात का ज्ञान करानेके लिये इनका अलगसे कथन किया गया है।
शंका- कर्मस्पर्श बन्धस्पर्शमें अन्तर्भावको प्राप्त होता है, फिर उसका पृथक्से कथन क्यों किया है ?
समाधान- कर्मबन्धस्पर्श नोकर्मवन्धस्पर्शका कारण है, यह जतलाने के लिये उसका अलगसे कथन किया है।
___ अब यहां बन्धस्पर्शके भंग बतलाते हैं । यथा-औदारिक शरीर नोकर्म प्रदेश तिर्यंच और मनुष्योंमें औदारिक शरीर नोकर्म प्रदेशों के द्वारा स्पर्श किये जाते हैं ।१। औदारिक शरीर नोकर्म प्रदेश तिर्यंच और मनुष्योंमें वैक्रियिक शरीर नोकर्म प्रदेशोंके द्वारा स्पर्श किये ज ते हैं । २। औदारिक शरीर नोकर्म प्रदेश प्रमत्तसंयत गुणस्थानमें आहारक शरीर नोकर्म प्रदेशों के द्वारा स्पर्श किये जाते हैं । ३ । औदारिक शरीर नोकर्म प्रदेश तिर्यंच और मनुष्यों में तेजस शरीर नोकर्म प्रदेशों के द्वारा स्पर्श किये जाते हैं । ४ । औदारिक शरीर नोकर्म प्रदेश तिर्यच और मनुष्यों में कार्मण शरीरके प्रदेशों द्वारा स्पर्श किये जाते हैं । ५ । इस प्रकार औदारिक शरीरके पांच भंग होते हैं।
वैक्रियिक शरीर नोकर्म प्रदेश देव और नारकियोंमें वैक्रियिक शरीर नोकर्म प्रदेशोंके द्वारा
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