Book Title: Shatkhandagama Pustak 09
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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पृष्ठ
१३७
२६ स्वोदय-परोदय
३३८ १ सोदय-परोदओ
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३५७
३५७
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३६०
"9
39
K
13
19
१६६ २२. बन्धका
३८८
५
४
39
८
"
११
१६
पंक्ति
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अशुद्ध
७ सुक्कलेस्साए पदासिं
१४ जाता है । इन सब
२१ शुक्ललेश्या में इन
२९
XXX
७ वेउब्धियसरीरंगोवगाणं
२२ नरकगल्यानुपूर्वी और
१० सोदओ
२६
स्वोदय
२ तह वलं भादो । पदासि सम्वासि तहोवलंभादो । [ थीणगिद्धितिय
२ तिरिक्खगईणं
१२ पंचिदियजादि
१६ अन्तराय और
३० पंचेन्द्रिय जाति
३ कज्जुप्यायणे
२० विघ्नोंसे उत्पन्न
२१
२१
स्थापनाकी अपेक्षा
७ - मुप्पण्णं समाणसुव
२ परमाणूण खंधा
१९ परमाणुओं के स्कन्ध
29
शुद्धि-पत्र
शुद्ध
वह प्रतिपक्ष प्रकृतियोंके बन्धका अभाव
है ।] पुरुषवेदका
परोदय
परोदओ [ प्रतियों में सोदय पद है, पर वह होना नहीं चाहिये ]
परोदभ [ प्रतियोंमें सोदओ ही पाठ है ] परोदव
अणताणुबंधिचक्काणं बंधो सोदयपरोदओ ।] सेसाणं सव्वासिं'
सुक्कले हसाए तिरिक्ख माणुस्से पदासि जाता है । [ स्स्यानगृद्धि आदि तीन और अनन्तानुबन्धि चतुष्कका स्वोदय - परोदय और ] शेष सब
शुक्ललेश्या में तिथंच व मनुष्यों के इन
१ प्रतिषु एदासि ' सव्वासि इति पाठः । [वेडावयसरीर ] वेडब्विय सरीरंगो वंगाणं नरकस्यानुपूर्वी, बैक्रियिकशरीर और
उदयका
[तिरिक्खाउ- ]तिरिक्तगणं पंचजादि [ प्रतियों में पंचिदियजादि ही पाठ है ] अन्तराय, [ तिथंच आयु ] और पांच जातियां
[पुस्तक ९]
११
कज्जुप्पाय विघ्नोंके कारणभूत
39
स्थापनाको
मुप्पण्णसमाणनुखपरमाणूणखंधा परमाणुओं से न्यून स्कन्ध
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