Book Title: Shatkhandagama Pustak 09
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati

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Page 18
________________ शुद्धि-पत्र [पुस्तक ८] . अशुद्ध ११३ १२ चदुदंसणावरणीय वेउब्धिय- चदुदंसणावरणीय-तेजा- [ प्रतियों में बेउब्धिय तेजा __ पद है, पर वह होना नहीं चाहिये ] , २६ चार दर्शनावरण, वैक्रियिक, चार दर्शनावरण, तेजस तैजस ९ सुभ-सुस्सर सुभग-सुस्सर [ प्रतियों में सुभके स्थानमें सुभम होना चाहिये] २७ शुभ, सुस्वर भग, सुस्वर १३१ . ५ देवगइसंजुत्तं मणुसगइ. देवाइसंजुत्तं च [ मणुसगइसंजुत्तं पद प्रतियोंमें संजुत्तं च है, पर होना नहीं चाहिये ] २१ मनुष्यगतिसे संयुक्त xxx १३२ . १० मणुसगइपाओग्गाणुपुन्वी [मणुसगइ ] मणुसगइपाओग्गाणुपुब्धी २. मनुष्यगतिप्रायोग्यानुपूर्वी [ मनुष्यगति ] मनुष्यगतिप्रायोग्यानुपूर्वी " ९ जसकित्ति-उच्चागोदाणं " जसकित्ति-[अजसकित्ति] उच्चागोदाणं , २१ यशकीर्ति और उच्चगोत्र यशकीर्ति, [ अयशकीर्ति ] और उच्चगोत्र ४ पज्जत्तापज्जताणं च पज्जत्तापज्जत्ताणं [तसअपज्जत्ताणं] . १६ अपर्याप्त जीवोंकी अपर्याप्त [व त्रस अपर्याप्त ] जीवोंकी ९ पंचणाणावरणीय-मिच्छत्त पंचणाणावरणीय- [णवदसणावरणीय.] मिच्छत्त " २५ पांच ज्ञानावरणीय, मिथ्यात्व पांच ज्ञानावरणीय, [नौ दर्शनावरणीय ] मिथ्यात्व . २०४ १० [ओरालियसरीरंगोवंग-] [ ओरालियसरीरंगोवंग-मणुसगह-] , २७ [ औदारिकशरीरांगोपांग ] [औदारिकशरीरांगोपांग, मनुष्यगति ] '२०६४ जसकित्ति-णिमिण जसकित्ति- [अजसकित्ति-] णिमिण २०६ १६ यशकीर्ति, निर्माण यशकीर्ति, [ अयशकीर्ति ], निर्माण २०९ २१ तिर्यग्गति, तिर्यग्गतिप्रायोग्यानुपूर्वी, Jain Education International • For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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