Book Title: Shatkhandagama Pustak 09
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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पत
१३४
१४०
२०५ २०७
२०८
विषय-सूची म नं. विषय पृष्ठ | क्रम नं. विषय मादिकी परम्परा और ९१ श्रुतज्ञानके चतुर्विध अवउनका काल
तारमें सामायिक भादि ७३ शक राजाका समय
चौदह भेद रूप मनंगभुतकी ७४ भूतबलि भट्टारक द्वारा
प्ररूपणा षटखण्डागमकी रचना
९२ अंगश्रुतके चतुर्विध अवतारमें ७५ कृति वेदना आदि चौबीस
__ आचारांगादि बारह अंगोंकी ___ अनुयोगद्वारोंका निर्देश
विषयप्ररूपणा ७६ उपक्रमका स्वरूप व उसके
९३ दृष्टिवादके चतुर्विध भवभेद-प्रभेदादि
तारमें चन्द्रप्राप्ति आदि ७७ निक्षेपस्वरूप
पांच अधिकारोंका विषय ७८ अनुगमप्ररूपणामें प्रमाणका
९४ सूत्रका पदप्रमाण व विषय स्वरूप व उसके भेद
९५ प्रथमानुयोगका पदप्रमाण . प्रभेदोंका विस्तृत वर्णन
व विषय नयप्ररूपणा १६२-१८३
९६ पूर्वकृतका पदप्रमाण व
विषय ७९ नयस्वरूपका विचार
९७ पांच प्रकार चूलिकाओंका ८० द्रव्यार्थिकनयकी प्ररूपणामें
पदप्रमाण व विषय . द्रव्यके सदादि विकल्पोंका
९८ पूर्वगतके चतुर्विध अवतार में दिग्दर्शन
चौदह पूर्वोका पदप्रमाण ८१ पर्यायार्थिकनयके भेदों में
व विषय ऋजुसूत्र नयका स्वरूप
९९ अग्रायणी पूर्वका चतुर्विध ८२ शब्दनयका स्वरूप
अवतार ८३ समभिरूदनयका स्वरूप
१०० चयनलब्धिका चतुर्विध ८४ एवम्भूतनयका स्वरूप
अवतार ८५ अर्थनय शब्दनयका
१०१ कर्मप्रकृतिप्राभृतका चतुर्विध स्वरूप
अवतार ८६ नैगमनयके तीन भेद व
१०२ चयनलब्धिके कृति व वेदना उनका स्वरूप
आदि चौबीस अनुयोग८७ नयोंकी समीचीनता व
द्वारोंका निर्देश व उनकी असमीचीनता
. विषयप्ररूपणा ८८ उपनयका स्वरूप
१०३ कृतिके सात भेदोका निर्देश ८९ सात सुनयवाक्य
१०४ कृतियोंकी नयविषयता ___ अग्रायणी पूर्वका उद्गम १८४-२२५ १०५ नामकृतिकी प्ररूपणामें ९. बानका उपक्रमादि रूप
क्षणिकैकान्तवादादिका निरा. चतुर्विध अवतार
२१.
१७१
१७६
१८०
२२७
२६९
२३१
२३८
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