Book Title: Shatkhandagama Pustak 09
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati

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Page 14
________________ विषय-सूची क्रम न... विषय पृष्ठ | क्रम नं. विषय १ धवलाकारका मंगलाचरण १४ अवधिजिनोंका स्वरूप वेदना खण्डके प्रारम्भमें भगवान् भूतबलि | १५ परमावधिजिन-नमस्कारमें परमावधिजिनोंका स्वरूप द्वारा किया गया मंगल २-१०३ | १६ परमावधिके विषयभूत द्रव्य, २ मंगलका स्वरूप व उसका क्षेत्र, काल व भावकी प्ररूपणा प्रयोजन 9 सर्वावधिजिन-नमस्कारमें नामादिकके भेदसे चार सर्वावधिजिनोंका स्वरूप प्रकारके जिनोंका स्वरूप : - १८ सर्वावधिके विषयभूत 'द्रव्य, ५ उक्त चार भेदोंमें विभक्त क्षेत्र, काल, व भावकी प्ररूपणा जिनोंमेंसे यहां कौनसे जिनके १९ अनन्तावधिजिन-नमस्कारमें लिये नमस्कार किया गया है. ___ अनन्तावधिजिनका स्वरूप ५ देश व सकल जिनों का स्वरूप १० २० कोष्ठबुद्धि ऋद्धि धारकोंका ६ अवधिजिन-नमस्कारमें अवधि स्वरूप व उनको नमस्कार शब्दके अर्थपर विचार ... १२ | २१ बीजबुद्धि ऋद्धि धारकोंका ७ जघन्य अवधिके विषयभूत. स्वरूप व्यकी प्ररूपणा २२ पदानुसारी ऋद्धिका स्वरूप २३ सम्भिन्नश्रोतृ ऋद्धिका स्वरूप ८ जघन्य अवधिज्ञानके विषय २४ ऋजुमतिमनःपर्ययज्ञानका भूत क्षेत्रकी प्ररूपणामें अव . स्वरूप व उसके विषयका गाहनाविषयक अल्पबहुत्व प्रमाण ९ सूक्ष्म निगोद जीवकी जघन्य २५ विपुलमतिमनःपर्ययज्ञानका अवगाहना प्रमाण जघन्य स्वरूप व उसके विषयका अवधिका क्षेत्र प्रमाण १० जघन्य अवधिशानके विषय २६ दशपूर्व ऋद्धि धारकोंके भेद व ___ भूत कालकी प्ररूपणा उनका स्वरूप ११ जघन्य अवधिक विषयभूत २७ चतुर्दशपूर्व ऋद्धि धारकोंका भावकी प्ररूपणा - स्वरूप १२ अवधिके विषयभूत द्रव्य, २८ आठ महानिमित्तोंका स्वरूप . क्षेत्र, काल व भावके द्विती. २९ विक्रिया ऋद्धिके आठ भेद व यादि विकल्प ૨૮ उनका स्वरूप १३ देशावधिके उत्कृष्ट द्रव्य, | ३० विद्याधरजिन-नमस्कारमें जाति, क्षेत्र, काल व भावफा प्रमाण , . : ३५। कुल व तप विधाओका स्वरूप १७ २७ . .. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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