Book Title: Shatkhandagama Pustak 08
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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षट्खंडागमको प्रस्तावना क्रम नं.
विषय ___पृष्ठ क्रम नं. विषय १२७ हास्य रति आदिकी ओघके १४० मनःपर्ययशानियों में पांच ज्ञानासमान प्ररूपणा
वरणीय आदिके बन्ध१२८ मायाकषायी जीवोंमें पांच
स्वामित्वका विचार ज्ञानावरणीय आदिके वन्ध- १४१ निद्रा और प्रचलाके बन्धस्वामित्वका विचार
स्वामित्वका विचार १२९ द्विस्थानिक आदिकी ओघके १४२ सातावेदनीयके बन्धस्वामित्वसमान प्ररूपणा
का विचार १३० हास्य-रति आदिकी ओघके १४३ शेष प्रकृतियोंकी कुछ विशेसमान प्ररूपणा
षताके साथ ओघके समान
प्ररूपणा १३१ लोभकषायी जीवोंमें पांच शानावरणीय आदिके बन्ध
| १४४ केवलज्ञानियों में सातावेदनीयके स्वामित्वका विचार
बन्धस्वामित्वका विचार १३२ शेष प्रकृतियोंकी ओघके समान
संयममार्गणा प्ररूपणा
,, | १४५ संयत जीवोंमें मन पर्य१३३ अकषायी जीवोंमें सातावेद
यज्ञानियोंके समान बन्धनीयके वन्धस्वामित्वका विचार ,
स्वामित्वकी प्ररूपणा ज्ञानमार्गणा
१४६ सातावेदनीयके बन्धस्वामित्वमें
कुछ विशेषता १३४ मतिअज्ञानी, श्रुतअज्ञानी और
!९४७ सामायिक छेदोपस्थापनशुद्धिविभंगशानियों में पांच ज्ञानावरणीय आदिके बन्धस्वामित्वका
संयतोंमें पांच ज्ञानावरणीय
आदिके बन्धस्वामित्वका विचार विचार
२७९ १३५ एकस्थानिक प्रकृतियोंकी ओधके
। १४. शेष प्रकृतियोंके बन्ध
स्वामित्वकी मनःपर्ययज्ञानियोंसमान प्ररूपणा
के समान प्ररूपणा १३६ आभिनिबोधिक, श्रुत और
! १४९ परिहारशुद्धिसंयतोंमें पांच अवधिज्ञानी जीवों में पांच
ज्ञानावरणीय आदिके बन्धशानावरणीय आदिके बन्ध
स्वामित्वका विचार स्वामित्वका विचार
२८६
१५० असातावेदनीय आदिके बन्ध१३७ निद्रा व प्रचलाकी ओघके
स्वामित्वका विचार समान प्ररूपणा
१५१ देवायुके बन्धस्वामित्वका १३८ सातावेदनीयके बन्धस्वामित्वका विचार
१५२ आहारशरीर और आहार१३९ शेष प्रकृतियोंकी ओघके
शरीरांगोपांगके बन्धस्वामित्वसमान प्ररूपणा
का विचार
२९८
३००
विचार
२८८
३०७
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