Book Title: Sarvarthsiddhi Vachanika
Author(s): Jaychand Pandit
Publisher: Kallappa Bharmappa Nitve

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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पृष्ठाः ६०३ SAASPASTRASPAINMEAPONaprovCOPosxasproKORApapr ॥ तत्त्वार्थसूत्राणामनुक्रमः ॥१२॥ सूत्राणि सूत्राणि ३ प्रकृतिस्थित्यनुभवप्रदेशास्तद्विधयः स्थानसंहननस्पर्शरसगन्धवर्णानुपूर्व्यागुरुलघू. ४ आद्यो ज्ञानदर्शनावरणवेदनीयमोहनीयायुर्ना पघातपरघातातपोद्योतोच्छ्वासविहायोगतयः मगोत्रान्तरायाः प्रत्येकशरीरत्रससुभगमुस्वरशुभमूक्ष्मपर्याप्ति५ पञ्चनवद्यष्टाविंशतिचतुर्द्विचत्वारिंशावपंचभेदा स्थिरादेययश-कीर्तिसेतराणि तीर्थकरत्वं च यथाक्रमम् १२ उच्चैर्नीचैश्च ६ मतिश्रुतावाधिमनःपर्ययकेवलानाम् १३ दानलाभभोगोपभोगवीर्याणाम् ७ चारचक्षुरवधिकेवलानां निद्रानिद्रानिद्रामचलाम- १४ आदितस्तिसृणामन्तरायस्य च त्रिंशत्सागरोपमचलाचलास्त्यानगृद्धयश्च ___कोटीकोट्यः परा स्थितिः ८ सदसदेद्य १५ सप्ततिर्मोहनीयस्य ९ दर्शनचारित्रमोहनीयाकषायकषायवेदनीयाख्या- १६ विंशतिर्नामगोत्रयोः खिद्विनवपोडशभेदाः सम्यक्त्वमिथ्यात्वतदुभया- १७ त्रयस्त्रिंशत्सागरोपमाण्यायुषः न्यकषायकषायौ हास्यरत्यरतिशोकभयजुगुप्सा १८ अपरा द्वादशमुहूर्ता वेदनीयस्य स्त्रीपुनपुंसकवेदा अनन्तानुवन्ध्यप्रत्याख्यानम १९ नामगोत्रयोरष्टौ त्याख्यानसंज्वलनविकल्पाश्चैकशः क्रोधमान २० शेषाणामन्तर्मुहूर्ता मायालोभाः २१ विपाकोऽनुभवः १० नारकतैर्यग्योनमानुषदैवानि २२ स यथानाम ११ गतिजातिशरीरांगोपांगनिर्माणबन्धनसंघातसं २३ ततश्च निर्जरा Aarawbetworatapseatseartwasatirrertsabs For Private and Personal Use Only

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