________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सुयोधन राजाकी कथा ।
१९
भी नष्ट हो जाते हैं। इसलिए अपने मनकी रक्षा बड़े यत्नसे करनी चाहिए । जब चित्त स्वस्थ होता है तब बुद्धि भी नई नई पैदा होने लगती है। इसलिए आप चित्तको स्वस्थ करके उपाय सोचिए। कुछ देर विचार कर बूढ़ा बोला-अच्छा पुत्रो, तुम सब मरे हुएकी तरह पड़े रहो, अन्यथा तुम्हें जीता जानकर शिकारी तुम्हारी गर्दने मरोड़ डालेगा। उन हंसोंने ऐसा ही किया। सबेरे वह शिकारी आया। उसने जाना सब हंस मर गये, सो जालसे निकाल निकाल कर उसने उन्हें जमीन पर डाल दिया । तब बूढ़ा बोलाबच्चो, अब उड़ जाओ। यह सुनते ही वे हंस उड़ गये। वे कहने लगे-बूढ़ेके उपदेशसे हम लोग आज बच गये । इसीलिए तो नीतिकारोंने कहा है कि समझदारोंको भी वृद्धकी बात माननी चाहिए । देखो, वनमें हंस जालमें फँस गये थे, पर वृद्धकी सलाहसे वे छूट गये। नीतिकारका कहना है-जो काम मूलसे ही नष्ट हो जाता है, फिर सुझाने पर भी वह समझमें नहीं आता । इसका कारण दुराग्रह है । हठी मनुष्यको समझ. दार कहाँतक समझा सकता है । चाहे जितना पानी बरसे पर काला पत्थर कभी नरम नहीं होता । इस कथाको सुनाकर यमदंड अपने घर चला गया । इस तरह यमदंडका पहला दिन बीता। _दूसरे दिन जब फिर यमदंड राजाके पास आया तो राजाने उससे पूछा कि चोर मिला क्या ? वह बोला-महाराज,
For Private And Personal Use Only