________________
बूढ़े आदमी ने जवाब दिया, 'उससे मदद न मिलती, उसका कुछ उपयोग न हुआ होता। क्योंकि जब तक तुम्हारे पास आंखें नहीं हैं देखने के लिए, कुछ नहीं हो सकता। इन बीस वर्षों ने तुम्हारी मदद की है मुझे देखने में। मैं वही व्यक्ति हूं जैसा कि तब था, लेकिन बीस वर्ष पहले तुमने मुझसे कहा था कि तुम्हें मेरे प्रति कोई अनुभूति नहीं होती। मैं तो वही हूं लेकिन अब तुम अनुभूति पाने मै सक्षम हो गये हो। तुम बदल गये हो, इन पिछले वर्षों ने तुम्हें जोर से मांज दिया। सारी धूल छंट गयी, तुम्हारा मन निर्मल है। कस्तूरी की यह सुगन्ध उस समय भी थी, लेकिन इसे सूंघने की तुममें क्षमता न थी। तुम्हारी नाक बन्द थी,तुम्हारी आंखें कार्य नही कर रही थीं, तुम्हारा हृदय सचमुच स्पंदित नहीं हो रहा था। इसलिए संयोग सम्भव नहीं था तब।'
___ तुम स्वयं नहीं जानते। और कोई नहीं कह सकता कि तुम्हारी श्रद्धा कहां घटित होगी। मैं नहीं कहता, गुरु पर श्रद्धा करो। मैं केवल इतना कहता हूं कि ऐसा व्यक्ति खोजो जहां श्रद्धा घटित होती हो। वही व्यक्ति तुम्हारा गुरु है। और तुम कुछ कर नहीं सकते इसे घटित होने देने में। तुम्हें घूमना होगा। घटना घटित होनी निश्चित है, लेकिन खोजना आवश्यक है क्योंकि खोज तुम्हें तैयार करती है। ऐसा नहीं है कि खोज तुम्हें गुरु तक ले जाये। खोजना तुम्हें तैयार करता है ताकि तुम उसे देख सको। हो सकता है वह तुम्हारे बिलकुल नजदीक हो।
पाँचवाँ प्रश्न
पिछली रात्रि आपने सत्संग और शिष्य के गुरु- के निकट होने पर बात की क्या इसका अर्थ शारीरिक निकटता है? वह शिष्य जो गुरु से बहुत शारीरिक निकटता पर रहता है नुकसान में रहता है
क्या ?
हा
और नहीं। हां, आरंभ में शारीरिक निकटता आवश्यक है क्योंकि जैसे कि तुम
हो, अभी तो तुम कोई चीज समझ नहीं सकते। तुम शरीर को समझ सकते हो, तुम शारीरिक भाषा समझ सकते हो। तुम भौतिक स्तर पर जीवित हो, इसलिए हां,शारीरिक निकटता आवश्यक है- आरंभ में।
लेकिन मैं कहता हं नहीं भी; क्योंकि जैसे ही तुम विकसित होते हो, जैसे ही एक अलग भाषा सीखना आरंभ करते हो जो कि गैर-शारीरिक है, तब शारीरिक निकटता की आवश्यकता नहीं है। तब तुम कहीं भी जा सकते हो। तब दूरी से कोई अन्तर नहीं पड़ता। तुम्हारा सम्पर्क बना रहता है। और