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सवाल जाति की उत्पत्ति के विषय में हम गत पृष्ठों में काफी प्रकाश डाल चुके हैं। अब हम
इस जाति के राजनैतिक और सैनिक महत्त्व पर कुछ ऐतिहासिक विवेचन करना चाहते हैं। आज कल कुछ लोगों की ओर से इस जाति की राजनैतिक और सैनिक योग्यता पर संदेह प्रकट किया जा रहा है । उन लोगों का यह कहना है कि ओसवाल एक वणिक जाति है, उसका राजनीति एवम् वीरता से कोई सम्बन्ध नहीं। पर वीर राजस्थान का इतिहास के की चोट उनके इस वमन्य को भ्रमात्मक सिद्ध कर रहा है।
प्रथम तो ओसवाल जाति की उत्पत्ति प्रायः क्षत्रिय जाति से ही हुई है। इससे उनके संस्कारों ही में वीरता के तस्व न्यूनाधिक रूप से भरे हुए हैं। दूसरी बात यह है कि ओसवालों ने राजस्थान के राज्यों में बड़े २ उत्तरदायित्व के पदों पर काम किया है. इससे राजनीतिज्ञों में जिन गुणों व विशेषताओं का होना
आवश्यक होता है, वे भी इस जाति में पाये जाते हैं। हाँ, समय के प्रभाव से उनमें इन गुणों का जैसा विकास होना चाहिये वैसा वर्तमान में नहीं हो रहा है। ओसवाल ही क्यों, यही बात राजपूत और अन्य जातियों के लिए भी लागू हो सकती है । पर इससे यह मान लेना कि ओसवाल लोगों में राजनैतिक और सैनिक योग्यता का अभाव है, वास्तविकता पर असत्य का पड़दा डालना है । हमें दुःख है कि भारत सरकार ने इस जाति के लोगों के लिए सेना का द्वार बन्द कर रक्खा है । वह उनकी गिनती सैनिक जाति में नहीं करती । जिस जाति ने महान् से महान् वीर उत्पन्न किये; जिस जाति के सुयोग्य वीरों ने बड़े । युद्धों में योग्यता पूर्वक सेना का संचालन किया; जिस जाति ने मध्ययुग की भयंकर अशांति और गड़बड़ी के नाजुक समय में राजस्थान के कई प्रसिद्ध राज्यों की स्थिति को कायम रक्खा; जिस जाति के मुत्सद्दियों एवम् वीरों की राजस्थान के बड़े २ ऐतिहासिक नरपतियों ने राज्यों के अमर इतिहासकारों ने-मुक्त कण्ठ से प्रशंसा की है और जिन्हें राजा महाराजाओं के दिये हुए खास रुकों में तथा प्रामाणिक इतिहास ग्रन्थों में राजस्थान के रक्षक कहा गया है, हम नहीं समझते कि उनके वंशजों को सैनिक लोगों की श्रेणी से क्यों बाहर निकाला गया । यह सरासर गलती है और हम भारत सरकार के अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहते हैं । जब ब्राह्मणों तक को सेना में भरती किया जाता है तब ओसवाल जाति ही इससे क्यों वञ्चित रक्खी जाती है, इसका हमें बड़ा आश्चर्य है ।
जिन सज्जनों ने इतिहास के मौलिक साधनों का अवलोकन किया है तथा राजस्थान के राज्यों के