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राजनैतिक और सैनिक महत्व
मुकाबला किया। बड़ी घमासान लड़ाई हुई। सिंधी हारकर भाग छूटे और विजय श्री जयमलजी मुणोत के हाथ लगी । इस प्रकार उन्होंने और भी कुछ लड़ाइयाँ लड़ी और उनमें उन्हें सफलता प्राप्त हुई। आपके इन्हीं वीरोचित कार्यों एवं राज्य-प्रबन्ध से खुश होकर तत्कालीन जोधपुर नरेश ने आपको एक खास रुक्का इनायत किया था जो अब भी आपके वंशज हमारे मित्र श्रीयुत वृद्धराजजी मुणोत के पास मौजूद है।
___मुणोत जयमलजी न केवल राजनीतज्ञ और वीर ही थे, पर बड़े लोक सेवी भी थे । संवत् १६८७ में मारवाड़ में बड़ा भयंकर अकाल पड़ा था, उस समय आपने मारवाड़ के भूखे महाजन, सेवक और अन्य दुःखी लोगों को एक वर्ष तक मुफ्त अन्न दान देकर उच्च श्रेणी की सहृदयता और परोपकार वृत्ति का परिचय दिया था । अब हम ओसवाल जाति के महत्व को क्रियात्मक रूप से प्रदर्शित करने वाले एक दूसरे महानुभाव का परिचय देते हैं । यह महापुरुष मुणोत जयमलजी के सुपुत्र मुणोत नेणसीजी थे। मुणोत नेणसीजी
एक सुप्रसिद्ध अंग्रेज इतिहास वेत्ता का कथन है कि महान् पुरुषों के कार्यों का वर्णन ही इतिहास का प्रधान हेतु है। महान् पुरुषों की कार्य्यावली ही ऐतिहासिक घटनाएं होती हैं। मुणोत नेणसीजी ओसवाल जाति के एक ऐतिहासिक पुरुष थे। भारतीय इतिहास के गगन मण्डल में इनका नाम तेजी से चमक रहा है। शासन कुशलता, वीरता, साहित्य-प्रेम एवं विद्या-प्रेम के ये मूर्तिमंत अवतार थे। हम
ओसवाल जाति के राजनैतिक और सैनिक महत्व दिखाने के उद्देश्य से इनके जीवन पर थोड़ा सा प्रकाश डालना आवश्यक समझते हैं।
- मुणोत नेणसी का जन्म संवत् १६६७ की मार्गशीर्ष सुदी ४ को हुआ था। संवत् १७१४ में महाराजा जसवन्तसिंहजी ने इन्हें अपना दीवान बनाया। उस समय उनकी अवस्था ४७ वर्ष की थी। उन्होंने दीवानगी के काम को बड़ी उत्तमता के साथ संचालित किया।
जिस समय का यह जिक्र है उस समय भारतवर्ष में सम्राट औरङ्गजेब के अत्याचारों से तंग भाकर दक्षिण और पंजाब के हिन्दुओं में अद्भुत् जागृति की . लहर उठ रही थी। राजस्थान में राजनैतिक षड्यंत्रों का जाल बिछाया जा रहा था, राजाओं का पारस्परिक वैमनस्य राजस्थान के भविष्य को
अंधकाराच्छन्न कर रहा था । ऐसे कठिन समय में राज्य शासन का सूत्र सञ्चालित करना कितना कठिन होता है, उसको यहाँ बतलाने की आवश्यकता नहीं । महाराजा जसवंतसिंहजी को अक्सर जोधपुर से बाहर रहना पड़ता था। वे औरंगजेब के द्वारा कभी किसी प्रान्त के और कभी किसी प्रांत के शासक (Governor'; बनाये जाते थे। कई वक्त औरंगजेब की ओर से उन्हें युद्धों पर भी जाना पड़ता था। इस.