Book Title: Jain Shwetambar Conference Herald 1910 Book 06
Author(s): Mohanlal Dalichand Desai
Publisher: Jain Shwetambar Conference
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४)
જેન કોન્ફરન્સ હેરલ્ડ.
(ફેબ્રુઆરી
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. १ प्रिय बंधुओं ! आप जानते हैं कि जो २ जातिय जैन है यह सब आचार्यों के पदेशसे स्थापित हुई है वही एक धर्षी होते हुवे यह समझ नहिं आता कि परस्पर व्यवहार दि क्यों? यदि एक धर्म, एक आचरणवाली जितनी सर्व वेश्य जातियां है हं सब एक हो आय तो क्या धर्म विरूद्ध है ? अथवा नुकसानदायक है? कदापी नहिं ! सचे भ्र'तृभावके ठए दूसरा कोई रास्ता नहें दिख पडता! यह विचार अपनी जातिके हिता कांक्षियोंक उपर जोडता हूँ--और अपने परस्परके लेन देन आदिके झगडे अपनी पं बायतसेही तह
रालेना चाहिए क्यों कि ऐसा न होनेसे द्रव्यहानि और कषायकी वृद्धि होनेसे दुःखका कारण होता है.
आठमा विषय
जैन डाईरेक्टरी जैन डाईरेक्टरी हुवे भिगेर अपने बंधुओं की संख्या व स्थिति पूरी २ मालुम नहि हो रक्ती. ईस हेतू से कान्फरं मसे कितनिक जगहकी तो डाईरेक्टरी हो चुकी है बाकी नहां न हुई हे वहाँके बंधुओं को चाहिए कि बबई अकिससे फॉर्म मंगाकर जीत्र डाइरेक्टरी करा देवे ताकी देशाटनमें सर्वको सुभिता रहे और जैन समुदायकी स्थिति ज्ञार हो जाय.
नवमा विषय.
श्लोक २५ चेइदबविणासे रिसिवाये पवयणरस उट्टाये. । संजइ च उत्त भंगे गूलग्गि बोहिलाभरस ॥
धार्मिक खाताओका बराबर हिसाब जैन धर्मका सार्वजनिक खाता, जैसेकी देवद्रव्य, ज्ञानद्रव्य, साधारणद्र प ग्राम २ शहर २ में अग्रेस के पास रहता है, उसका हिसाब बराबर रखना, जिससे परिणामग गोटाळा न हो तके. और सालीयाना आय व्ययकी सपोर्ट संघ समक्ष जूदी २ या हेरल्डद्वारा प्रकशित करना चाहिए, कोइ जैन बंधु अथवा कोन्फरन्सकी तरफसे कोई इन्स्पेक्टर हिसाब देखने आवे तो जरुर बताना योग्य है. तीर्थादी बडी संस्थाका हिसाब व रीपोर्ट छापेद्वारा जाही! करनेकी कोई आवश्यकता नहीं, ऐसेही तीर्थ स्थलपर जाकर हीसाब देखना सर्व जैन बंधुओं का हक है.